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________________ Shri Man Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagar m andir १ पुण्डरीकाध्य० | ईश्वरकार णिकः सूत्रकृताङ्गे स्त्रीकामेषु मूञ्छिता इत्येवं पूर्ववज्ज्ञेयं यावत्तदन्तरे कामभोगेषु विषण्णा ऐहिकामुष्मिकोभयकार्यभ्रष्टा नात्मत्रा(नत्राणाय नापि २ श्रुतस्क-18| परेषामिति । भवत्येवं द्वितीयः पुरुषजातः पञ्चमहाभूताभ्युपगमिको व्याख्यात इति ॥ साम्प्रतमीश्वरकारणिकमधिकृत्याहन्धे शीला- अहावरे तच्चे पुरिसजाए ईसरकारणिए इति आहिज्जइ, इह खलु पादीणं वा ६ संतगतिया मणुस्सा भवंकीयावृत्तिः ति अणुपुत्रेणं लोयं उववन्ना, तं०-आरिया वेगे जाव तेसिंच णं महंते एगे राया भवइ जाव सेणावइपुत्ता, तेसिं च णं एगतीए सड्डी भवइ, कामं तं समणा य माहणाय पहारिंसुगमणाए जाव जहा मए एस धम्मे ॥२८४॥ सुअक्खाए सुपन्नत्ते भवइ ॥ इह खलु धम्मा पुरिसादिया परिसोत्तरिया पुरिसप्पणीया पुरिससंभूया पुरिसपज्जोतिता पुरिसअभिसमण्णागया पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति, से जहाणामए गंडे सिया सरीरे जाए सरीरे संवुड्ढे सरीरे अभिसमण्णागए सरीरमेव अभिभूय चिट्ठति, एवमेव धम्मा पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति । से जहाणामए अरई सिया सरीरे जाया सरीरे संवुड्डा सरीरे अभिसमपणागया सरीरमेव अभिभूय चिट्ठति, एवमेव धम्मावि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति । से जहाणामए वम्मिए सिया पुढविजाए पुढविसंवुड़े पुढविअभिसमण्णागए पुढविमेव अभिभूय चिट्ठइ एवमेव धम्मावि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति । से जहाणामए रुक्खे सिया पुढविजाए पुढविसंवुढे पुढविअभिसमण्णागए पुढविमेव अभिभूय चिट्ठति, एवमेव धम्मावि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति। से जहाणामए पुकखरिणी सिया पढविजाया जाव पुढविमेव अभिभूय चिट्ठ ॥२८॥ For Private And Personal
SR No.020782
Book TitleSutrakritangam
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherVenichand Surchand
Publication Year1917
Total Pages859
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size18 MB
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