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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुगतामा छम्मासिए अदुत्तरं च गं उक्खित्तचरगा णिक्खित्तचरगा उक्खि. तणिमिखत्तचरगा अंतचरगा पंतचरगा लूहचरगा समुदाणचरगा. संसहचरगा असंसट्टचरगा तज्जायसंसट्टचरगा दिठ्ठलाभिया अदिटलाभिया पुट्ठलाभिया अपुट्ठलाभिया भिक्खलाभिया अभिपखलाभिया अन्नायचरगा उवनिहिया संखादत्तिया परिमितपिंडवाइया सुद्धेमणिया अंताहारा पंताहारा अरसाहारा विरसाहारा हाहारा तुच्छाहारा अंतजीवी पंतजीवी आयबिलिया पुरिमड्डिया निविगइया अमज्जमंसासिणो णो णियामरस भोई ब्राणाइया पडिमाठाणाइया उक्कुडुआसणिया णेसणिज्जा वीरासणिया दंडायतिया लगंडसाइणो अप्पाउडा अगत्तया अकंडुया अणिट्ठहा (एवं जहोववाइए) धुतकेसमंसुरोमनहा मध्वगायपडिकम्मविप्पमुका चिट्ठांत । ते णं एएणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं सामन्नपरियागं पाउणंति२ बहु बहु आबाहंसि उत्पन्नास वा अणुप्पन्नंसि वा बहूई भत्ताई पच्चक्खंति पच्चक्खाइत्ता बहुई भत्ताई अणसणाए छेदिति अणसणाए छेदित्ता जस्सट्ठाए कीग्इ नग्गभावे मुंडभावे अण्हाणभावे अदंतवणगे अछत्तए अणोवाहणए भूमिसेज्जा फलगसेज्जा कट्टसेज्जा केसलोए बंभचरवासे परघरपवेसे लद्धाबलद्धे माणावमाणणाओ हीलणाओ निंदणाओ गरिहणाओ खिसणाओ तज्जणाओ तालणाओ उच्चावया गामकंटगा पात्रीसं परीसहोवसग्गा अहिया सिज्जति तमहं आराहति, तमर्ट For Private And Personal Use Only
SR No.020781
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages797
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size15 MB
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