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सूत्रकृताङ्गसूर्य
गरुयं दंड निवत्तेइ, तं जहा - इमं दंडेह इमं मुंडेह इमं तज्जेह इमं तालेह इमं अदुयबंधणं करेह इमं नियलबंधणं करेह इमं बिंधणं करेह इमं चारबंधणं करेह इमं नियलजुयलं संको धियं मोडियं करेह इमं हत्थछिन्नयं करेह इमं पायच्छिन्नयं करेह इमें कन्नछिन्नयं करेह इमं नक ओटू सीसमुहछिन्नयं करेह इमं drगछहियं अंगछहियं पक्खाफोडियं करेह इमं ण्यणुष्पाडिय करेह इमं दंसणुष्पाडियं वसणुष्पाडियं जिन्भुप्पाडियं ओलंबियं करेह घसियं करेह घोलिये करेह सूलाइयं करेह सूलाभिन्नयं करेह खारवत्तियं करेह वज्झत्तियं करेह सीहपुच्छियगं करेह वसभपुच्छियगं करेह दवग्गिदडूयंगं कागणिमंसख । वियंगं भत्तपाणनिरुद्धगं इमं जावज्जीवं वहबंधणं करेह इमं अन्नयरेणं असुभेणं कुमारेणं मारेह । जाविय से अभितरिया परिसा भवइ, तं जहा - मायाइ वा पियाइ वा भायाइ वा भगिणीइ वा भज्जाइ वा पुताइ वा धूताइ वा सुहाइ वा, तेसिं पियपणं अन्नयरंसि अहा लहुगंसि अवराहंसि सयमेव गरुयं दंडं णिवतेइ, सीओदगवियसि उच्छोलित्ता भवइ जहा मित्तदोसवत्तिए जाव अहिए परंसि लोगंसि, ते दुक्खंति सोयंति जूति तिष्पंति पिहंति परितप्यंति ते दुक्खणसोयणजूरणतिप्पणपिट्टणपरितपणवह बंधणपरिकिलेसाओ अप्परिविरया भवंति । एवमेव ते इस्थिकामेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववन्ना जाव वासाई चउपंचमाई छदसमाई वा अप्पतरो वा भुजतरो
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