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समयायोधिनी टोका द्वि. श्रु. म. १ पुण्डरीकनामाध्ययनम् ॥ अभक्खाणाओ पेसुन्नाओ परपरिवाराओ अरहाईओ मायामोसाओ मिच्छादसणसल्लाओ इइ से महतो आयाणाओ उवसंते उवट्टिए पडिविरए से भिक्खू। जे इमे तप्तथावरा पाणा भवंति ते णो सयं समारंभइ णो अण्णेहिं समारंभावेइ अन्ने समारंभते विन समणुजाणइ, इइ से महतो आयाणाओ उवसंते उदिए पडिविरए से भिवखू । जे इमे कामभोगा सचित्ता वा अचित्ता वा ते णो सयं परिगिण्हइ णो अन्नणं परिगिहावेई अन्नं परिगिव्हंतं पि ण समणुजाणइ इइ से महतो आयाणाओ उवसंते उवट्ठिए पडिविरए से भिक्खू। जं पि य इमं संपराइयं कम्मं कज्जइ, णो ते सयं करेइ णो अपणेणं कारवेइ अन्नं पि करेंतं ण समणुजाणइ इइ से महतो आयाणाओ उवसंते उवहिए पडिविरए से भिवखू जाणेज्जा असणं वा ४ अस्सि पडियाए एगं साहम्मियं समुद्दिस्स पागाइं भूयाई जीवाई सत्ताई समारंभ समुदिस्स कीतं पामिचं अच्छिनं अणिसट्टे अभिहडं आहटुइसियं तं चेइयं सिया तं णो सयं भुंजइ णो अण्णेणं मुंजावेइ अन्नं पि भुंजतं ण समणुजाणइ, इइ से महतो आयाणाओ उवसंते उवट्टिए पडिविरए से भिक्खू । अह पुणेवं जाणेज्जा, तं जहा विजइ तेसि परक्कमे जस्सट्टा ते वेड्यं सिया, तं जहा अप्पणो पुत्ताइणटाए जाव आएसाए पुढो पमहेणाए सामासाए पायरासाए संणिहिसंणिचओ किज्जइ इह पएप्ति माणवाणं भोयणाए तत्थ भिवाव परकर्ड परणिट्टियमुण
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