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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - २३२ सूत्रकृताङ्गस्त्रे किंबहुना स्वसम्बन्धिनीभिरपि स्त्रीजातिभिः सह संपर्को न विधातव्य इत्याह सूत्रकारः-'अवि धूयराहि' इत्यादि। मूलम्-अविधूयराहिं सुण्हाहिं धाईहिं अदुवै दासीहि । महतीहिं वा कुमारीहिं संथेवं से न कुंजी अणगारे॥१३॥ छाया-अपि दुहितृभिः स्नुषाभिः धात्रीभिरथवा दासीमिः। ___ महतीभिर्वा कुमारीभिः संस्तवं स न कुर्यादनगारः ॥१३॥ अन्वयार्थः-(अणगारे) अनगारः (अवि धूयराहि) अपि दुहितृभिः (सुण्हाहि) स्नुषाभिः-पुत्रवधूमिः (धाईहि) धात्रीभिः (अदुव) अथवा (दासीहिं) दासीभिः नहीं करतीं । ये पुरुष के सरल हृदय में प्रवेश करके क्या क्या अनर्थ नहीं करती ॥१२॥ ___अधिकक्या कहा जाय मुनि को अपनी संबंधी भी स्त्री जाति के साथ संपर्क नहीं करनाचाहिये, यह सूत्रकार कहते हैं-'अविध्यराहि' इत्यादि। शब्दार्थ-'अणगारे-अनगार' साधु 'अविध्यराहि-अपि दुहितृभिः' अपनी कन्याओं के साथ 'सुण्हाहि-स्नुषाभिः' पुत्रवधूओं के साथ 'धाइहि-धातृभिः दूध पीलानेवाली धाइयों के साथ 'अदुव-अथवा' अगर 'दासीहिं-दासीभिः' दासियों के साथ 'महतीहि-महतीभिः' अपने से अधिक उभरवाली स्त्रियों के साथ 'वा कुमारीहिं-वा कुमारीभिः' अथवा कुमारी के साथ 'से-सःअनगारः' वह साधु 'संथा-संस्तवम्' परिचय 'न कुज्जा -न कुर्यात्' न करे ॥१३॥ પણ પુરુષ પર વિશ્વાસ રાખતી નથી. તે પુરુષના સરળ હૃદયમાં પ્રવેશ કરીને કયા કયા અનર્થો કરતી નથી?” ૧રા અધિક શું કહું? મુનિએ પિતાની સંસારી સંબંધી એવી સ્ત્રી જાતિ સાથે પણ સંપર્ક રાખવું જોઈએ નહીં. એ જ વાત સૂત્રકાર હવે પ્રકટ કરે छ --'अविधूयराहिं' त्याहि शहाथ-'अणगारे-अनगार' साधु 'अविधूयराहि-अपि दुहित्तृभिः' पोतानी :न्या साथे 'सुण्हाहि-स्नुषाभिः' पुत्रवधूनी साथे 'धाइहिं-धातृभिः' इ. पि१२१. नारी पानी साथे 'अदुव-अथवा' ॥२ 'दासीहिं-दामीभिः' हासीनी साये 'महतीहि-महति भिः' पोतानाथी भोट भरनी श्रीनी साथ 'वा कुमारीहि-वा -कुमारीभिः' ५५५१ माशी साथे ‘से अणगारे-सः अनगारः' त साधु 'संथव-संस्तवम्' पश्यिय 'न कुजा-न कुर्यात्' । रे. ॥१३॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020779
Book TitleSutrakritanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages729
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size14 MB
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