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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HHA24699*-8480* * *चलिओ / त दटु पेरियरेण गरुओ हाहारवो विहिओ॥१४५॥ सुसिलिट्ठअंगुवंर्ग अह तं पडिपुषचंदसमवयणं / करगिज्झमझ* भाग वियडनियंवत्थलि जुवई // 146 // दळुपि समासनं नाग, गंतुं अंचायमाणिं तु / मरणभयाओ गाढं वेवंतसरीरयं खुद्धं // 147 // | तोयारमपिक्खंति सतरलतारं दिसो नियच्छति / दणं चित्तगई गयणत्थो चिंतए एवं // 148 // तिसृभिः कुलकम् / / हा! हा! काम निहाणं महिलारयणं विणस्सइ लग्ग / ओयरिऊणं गयणाउ ताहि अम्मि सा गहि // 149 / / चित्तूण सयं सहसा ठाणे निरुववम्मि | के नेऊण / सीयलतरुछाहाए निवेसिया कुट्टिमुच्छंगे // 150 // तत्तो य उत्तरीअमिउपवणाऽऽसासियाए सो तीए / लजासज्झसमउलि| यनयणेहिं पुलोइओ तत्तो // 151 // चियपरिचियंव दटुं तं तरुणं गरुयनेहसम्भावा / अमएणव संसित्ता जाया अह वियसियकवोला // 152 // चित्तगईवि य तीए दहण अणोवर्म तयं स्वं / तव्वयणनिसियनिष्कंदलोयणो चिट्ठई जाव // 153 // ताव य तीए | धाई कइवयजुवईहिं परिगया शत्ति / आगंतुं उवविट्ठा भणइ तयं महुरवाणीए // 154 // युग्मम् / / परकमकरणनिरया हवंति किर सअणत्ति संचवियं / कनगमेयं मोयंतएण तुमए 'गंइदाओ॥१५५॥ ता निकारणवच्छल ! तुज्झ पभावाओ जीविया एसा। एमाइ बहुविगप्पं अभिनंदिय सा पुणो भणइ // 156 // गच्छामि अम्ह गेहं उस्मरं वट्टए जओ इहि / भणियं च चित्तगइणा एवं कुणहति तत्वो य // 157 // नियनयराभिमुहाणं ताणं चलियाण तीए कमाए। चित्तगइकरयलओ मुहारयणं लहुं गहियं // 158 // निययकर परिकरः परिवारः। 2 नागः हस्ती। 3 अशक्नुवतीम् / 4 शुन्धाम् / 5 त्रातारम्-रक्षितारम् / 6 पश्यन्तीम् / 7 गगनस्थः / 8 लागअघटमानम् / 9 अवतीर्य / 10 अङ्कः-उत्सतः / 11 अमृतेनेव / 12 सच्चवियं सत्यापित संवादितम् / 13 मोचयता / 14 गजेन्द्रात् / 15 ऊर्ध्व सूरो यत्र तदिति क्रियाविशेषणम् / * *84-8-*488-*-* For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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