________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एगो। पुच्छतो चित्तगई दमघोसो नाम जिणभवणे // 120 // दट्टण य चित्तगई पणमिय नेऊण ताहि एगते / दमघोसो भणइ तओ भगिणीए विमोयणढाए // 121 / / उप्पइओ ताव तुम, जलणपहो पिच्छिउंपि तं सच / अक्खुहियमणो सम्म नवि चलिओ निययकि| रियाओ॥१२२।। युग्मम् // निचलचित्रं दटुंजलणपहं मंतजाववावारं / अह सा रोहिणि विजा पच्चक्खा झत्ति संजाया // 123 // भ|णियं च तीए पुत्तय ! अणवसरिसं हि सुट्ठ धीरत्तं / ता सिद्धा तुज्झ अहं भणसु य ज मज्झ काय ? // 124 // भणियं जलप्पहेणं | अवहरिया मज्झ भारिया जा सा। कणगप्पहेणं, तं ताव सिग्घमाणेह मह पासं // 125 // भणियं विजाइ तओ सुणसु इमं ताव वइयरं पुत्त! केवलिवयणाईओ सबोवि हु वइयरो तस्स // 126 // पन्नत्तीए कहिओ तत्तो सो आगओ तुह समीवे / खोहणहे सवं मायाए | कयं इमं तेण // 127 // युग्मम् // तुह महिला नियगेहे अच्छइ निरुबद्दवा सुहेणं तु / चित्तगई पुण तेणं विमोहिओ मोहणिपभाषा | // 128 // सुरनंदणम्मि नपरे जिर्णिदभवणम्मि अच्छइ निविट्ठो।ता मा काहिसि किंचिवि ऍत्थत्थे पुत्त ! उन्वेवं / / 129 // युग्मम् / / एवं भणिउ विजा असणं झत्ति उवगया ताहे / अयं जलणपहेणं पट्टविओ तुम्ह पासम्मि // 130 // एवं च तेण भणिो दमघोसेणं अमृढचित्तो सो। चित्तगई संजाओ चलिओ सह तेण नियठाणं // 131 // एत्थंतरम्मि न्हवणे वित्तप्पायम्मि जिणवरिंदस्स। पविसइ नयरे लोगो नाणाविहवाहणारूढो // 132 // अविय / कोवि हु सिबियारूढो आरूढो रहबरेसु 'चित्तेसु / हयगयअस्सतरेसु डोलियजुगेसु विविहेसु // 133 // एत्थंतरम्मि नीत्वा।।भक्षुब्धमनाः / 3 मन्त्रजापे व्यापारो यस्य तम् / 4 अनन्यसदृशम् अद्वितीयम्। 5 व्यतिकरः प्रसन्नः क्षोभणहेतोः क्षोभनिमित्तम् / 7 अत्रार्थे / 8 स्नपने वृत्तप्राये-संपूर्णे सति / शिविका-सुखासनम् / 10 चित्राः नानाविधाः / 11 अश्वतरो-वेसरः / 12 डोलिया शिबिकाविशेषः / For Private and Personal Use Only