________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरीचरिज। चउत्थो परिच्छेओ। // 29 // जणओ कयविणओ परियणेणेसो॥४१॥ हाय विलितो भुत्तो उवविट्ठो उवरिमाए भूमीए / अहयपि चित्तमालासहिया तत्थेव सं- पत्ता // 42 // कुसलपउत्तिं पुच्छिय नियदइयं ताहे चित्तमालाए / नियधूयाए पउत्ती सव्वावि हु तस्स अक्खाया // 43 // तं सो | अमियगई साममुहो तक्खणेण संजाओ। भणइ अहो ! अइगरुयं समागयं अम्ह वेसणंति // 44 // तो भणह चित्तमाला पिययम ! किं| कारणं नु वेसणस्स!। तत्तो य अमियगइणा बजरियं पिययमे ! सुणसु // 55 // नरवइकजेणेत्तो गंगावत्तम्मि तम्मि नयरम्मि / सिरिंगंधवाहणस्स ओ पासम्मि गओ अहं तइया // 46 // कयविणओ उवविट्ठो अत्थाणगयस्स राइणो पासे / संभासिएण य तो | निवेइयं रायकजं से // 47 // | एत्थंतरम्मि सुंदरि ! पडिहारनिवेइओ अणुभाओ / अत्थाणम्मि पविट्ठो एगो विजाहरकुमारो // 48 // विहियपणामो रनो पारद्धो एरिसं स वञ्जरिउं। विजाहराण राया वेयड्ढे आसि जो देव ! // 49 // संसिद्धसयलविजो ससुरासुरमणुयलोयविक्खाओ। सुरवाह णोत्ति नाम विजाहरचक्कवट्टित्ति // 50 // अवमाणवज्जियं जो विजाहररायलच्छिमणुहविउं / विक्खायजसं पुत्तं निययपए ठाविऊण al तुमं // 51 // संसारवासभीओ नाऊण असारय विभूईए। रजसिरिं अबउझिय पडग्गलग्ग जरतणंव // 52 // सिरिउसहनाहजिणवर बञ्जरियं सव्वविरइरूवं जो। चारित्तं पडिवनो चित्तंगयमुणिवरसमीवे // 53 / / गहणाऽऽसेवणरूवं सिक्खं अब्भसिय गुरुसमीवम्मि / | अहियसुओ पडिवञ्जिय एगल्लविहारपडिमं सो // 54 // छट्ठट्टमदसमदुवालसाइनाणाविहे तवोकम्मे / उज्जुत्तो विहरतो गामागरम 1 आख्याता कथिता / 2 व्यसनं-कष्टम् / 3 असारताम् / 4 अपोत्य-त्यक्त्वा / 5 जरतृणमिव / 6 अधिकश्रुतः विशिष्टश्रुतशानशाली; अधीतश्रुतः= पठितशास्त्रो था। 7 उयुक्तः। // 29 // For Private and Personal Use Only