________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ___ अभं च / बुहसहिओवि हुसरो कव्वासत्तो वसंतमाहप्पा / उव जिऊण मीणं संपइ मेसँस्स उकोत्ति // 53 // ता एरिसे वसते * दिसिदिसिपसरंतपरहुयासद्दे। वित्थरियचच्चरीरवमुहरियउजाणभूभागे॥५४॥ विलसंति कामुयजणा अंदोलिज्जति तरुणजुबईओ। | वित्थरइ पडहयरवो पियति वरवारुणिं तरुणा // 55 // साहीणपिययमाणं तरुणीणं वल्लहम्मि महुमासे। धम्मपरायणलोएण एत्थ | | कीरति जेत्ताओ॥५६॥ जिणबिंबाणं भत्तीए तेण एए समागया देवा। सब्वायरेण वेयड्डसिद्धकूडेसु जत्तत्थं // 57 // तत्तो य |मए भणियं जइ एवं तो वयंस ! अम्हेवि / गंतूण सिद्धकूडे साँसयसव्वन्नुपडिमाओ॥५८॥ भत्तीए पणमिऊणं करेसु नियमाणुस-1 तणं सहलं / पेच्छामो जिलजत्तं सुयखयरोहण किर्जतं // 59 // बुम्मम् // अह सव्वेहिवि भणियं एवं होउत्ति सुठु ते भणिवं / ए-* त्यंतरम्मि पत्तो मह धाइसुओ चलो नाम // 60 // आगम्म तेण भणियं पिउणा ते चित्तवेग! लेतं / एसो हुरयणसंचयर्वत्थयो सयलखयरजणो // 61 // न्हाओ विलित्तदेहो सुहनेवत्थो महाविभूईए / चलिओ जिणजत्साए आसने सिद्धकूडम्मि // 62 // तेण समं | || अम्हेवि हु चलिया ता सिग्धमेव आगच्छ / कयण्हाणाइविहाणा जेण समं चेव गच्छामो॥६३॥ तब्बयणं सोऊणं नियगेहे आगओ पिउसमीवे / तेवि य मज्झ वयंसा नियनियगेहेसु संपत्ता // 64 // कयण्हाणाइविहाणो सह पिउणा ताहे पवणगइणा है। तकालुचियं * सव्वं गहिऊणं धूवपुप्फाई // 65 // नागरजणेण सहिओ उप्पइओ बँग्गसामलं गयणं / गच्छंतेण कमेणं दिटुं भवणं जिणिदस्स॥६६॥ 1 बुधः पण्डितो प्रहविशेषध / 2 कम्बो=काम्या शकः, कव्व-कव्य मांस च। 3 मीनराशिं मत्स्य च / 4 मेषराशेः, ऊरणस्य च / 5 उत्कः= उत्सुकः / 6 परभृता कोकिला / 7 गीतमेदः / 8 साहीणा स्वाधीनाः / 9 जत्ता यात्रा / 1. शाश्वतसर्वशप्रतिमाः / 1 सफलम् / 12 ओघःसमूहः। IBIL धात्रीसुतः / 14 संलप्तम्-उक्तम् / 15 वास्तव्यः / 16 नेपध्ययनम् / 17 खड्गवत् श्यामम् / / For Private and Personal Use Only