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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * समप्पिओ पिउणा // 26 // ततो अकालहीणं तहविहअज्झावयप्पभावेण / नियमइसामत्येण य गहियाओ कलाओ सयलाओ // 27 // नियकुलकमागयाओ पिउणा विजाओ मज्झ दिनाओ / नहगामिणिपमुहाओ जैहविहिणा साहियव्वाओ॥२८॥ दंसियमयणवियारं महिलाजणहिययमोहणमुदारं / अह कमसो संपत्तो अहयं नवजोवणारंभं // 29 // अन्नम्मि दिणम्मि अहं समाणजोव्वणवयंसपरियII रिओ। पत्तो अणेयतरुसंडमंडियं मणहरुआणं // 30 // पारद्धविविहकीला चिट्ठामो जा खणतरं तत्थ / ताव य गयणे दिवा दिन्व-IT विमाणाण रिंगोली // 31 // पसरंतपवररयणोरुदित्तिविच्छुरियनहयलाऽऽभोया। उत्तरदिसा पर्यट्टा सुरसुंदरी गेयसोहिल्ला // 32 // | युग्मम् // तं दटु मए भणिय कत्थ इमो हंदि / देवसंदोहो। चलिओ चलंतकुंडलमुत्ताहलधवलगंडयलो? // 33 // ईसि हसिऊण | भणियं मज्झ वयंसेण बंधुदत्तेण / सुपसिद्धमेव एवं वेयड्डनगे वसंताणं // 34 // जिणवंदणत्थमेत्थं सिद्धाययणेसु एइ सुरनिवहो / निचंपि वयंस ! अओ पसिद्धवत्थुम्मि का पुच्छा ? // 35 // तत्तो य मए भणिय एवं एयंति किंतु निसुणेसु / महया विच्छड्डेणं न एति निश्चं सुरा एत्थ // 36 // अन्ज पुणो सविमाणा सब्बिड्डीए महंतहरिसेणं / दीसंति में वेयता तेण मए पुच्छियं मित्त ! // 37 // अह भणइ बंधुदत्तो खणंतरं चिंतिऊणसवितकं / हुं नायं पारद्धा सिद्धाययणेसु जत्ताओ // 38 // पसरंतसुरहिमलयानिलुधुरो जेण वट्टइ वसंतो / किसलइयसयलतरुवरविरायमाणोरुवणनियरो // 39 // __ अविय / वायंतमलयमारुयचलंतपत्तलविसालसाहाहिं / नचंतिव तरुणो पहरिसेण महुमासआगमणे // 40 // कुसुमाऽऽमोयोऽऽ 1 अकालेन हीनं यथा स्यात्-कालप्राप्त्येत्यर्थः / 2 यथाविधि / 3 साधयितव्याः-साधयितुं योग्याः शक्याश्चेत्यर्थः / 4 अहकम, स्वार्थे कः। 5 कीला= ell क्रीडा / 6 प्रवृत्ता / . ईषत् / 8 वयस्येन-मित्रेण / 9 ब्रजन्तः / 1. किसलय-नवपल्लवितम् / 11 आयडूढिया आकृष्टाः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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