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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | यले पडिया // 87 / / पाउसनरिंदनवसंगमम्मि जायम्मि भूमिमहिलाए / हरियंकुरच्छलेणं पेच्छसु रोमंचओ जाओ॥८८॥ निठुर | करपसरेणं इमेण संताविआ इमा पुहई / इय रोसेणव रुद्धो घणेहिं सूरस्स करपसरो // 89 / / मह आगमेवि पियविरहियाण महिलाण | | किं न फुट्टाई / हिययाई सामरिसं विज्जुजोएण जोएइ / / 90 // नाउं मह आगमणं तहवि हु किं चल्लिया पिया मोत्तुं / गर्जतो रोसे णव पहियाण दलइ हिययाई // 11 // धवलबलायादाढो विज्जुलयाचवलदीहजीहालो / कसणशरीरो धावइ पहियाण पाउसपिसाओ। | // 12 // पेच्छ सुरचावनिग्गयधारावाणेहिं विरहिहिययाई / विधंतो उवहसइव पंचसरं पंचसरसहियं // 13 // एत्यन्तरम्मि देवी नरनाहं भणइ हरिसिया संती / सेसउऊणं नरवर ! अन्भहिओ पाउसो एसो // 94 // मोत्तूण विरहिणिजणं सुहओ जे एस कामुयजणस्स। पामरवच्छतणोसहिपमुहाणं तहय जीवाणं // 95 // अह भणइ पुहइनाहो ईसिं हसेऊण, देवि ! तं सच्चं / आहीण संजायं जं सु // 97 // सव्वेवि देवि ! उउणो सेउनलोयस्स होति सुहहेऊ / पुनविहूणाण पुणो पाउससमओवि दुहहेऊ // 98 // ओ! पेच्छ पेच्छ सुंदरि ! अद्धसमारम्मि जैरकुडीरम्मि / ओघैसरसयविराइयडिंभसमूहे रुयंतम्मि // 99 / / निययघरिणीए बाढं चोइज्जतो पुणो पुणो | वरओ। आवरणरहियदेहो हम्मंतो वारिधाराहिं // 10 // १प्रावृट् / 2 विद्युयोतेन, द्योतयति। 3 जीहालो जिद्धावान् / 4 सुखदः। 5 वत्साः गोऽर्भकाः, तृणानि, ओषधयश्च तत्प्रमुखाणाम् / 6 आहीणं कि वदन्ती। 7 'धे तृप्तौ' धातास्तृप्ताः। 8 आदरात् / 9 सपुण्यलोकस्य / 1. अर्धसमारचिते। 11 जरत्कुटीरे-जीर्णक्षुद्रग्रहे / 12 'ओघसराणां' अनर्थानां गृहवारि | प्रवाहाणां शतानि / 13 चोद्यमानः-प्रेयमाणः / 14 बरओ वराकः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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