________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandie सुरसुंदरी चरिअं // 134 // च्छिन्नसलिलधाराओ। बज्झति कंडयाई पउणीकीरति अर्गयाई // 62 // इय गारुडियसणाहे नहयरनिवहम्मि आउलीभूए / घयसि-मासी तेव्व हुँयासे पबलीभृए विसवियारे // 6 // नरनाहो अब्बत्तं दिव्यमणि आणहत्ति भगमाणो / पिक्खंताणं खयराण तत्थ जाओ परिच्छेओ | विगयचिट्ठो // 6 // युग्मम् / / एत्थंतरम्मि विनायवइयरा राइणो पिया भगिणी / पभणइ पियवया वच्च वच्च लहु बाहुवेग ! तुमं | // 65 / / गंतूण भाणुवेगस्स नंदणं चंदवेगखयरेसं / मह वयणेण मग्गसु नयरे सिरिकुंजरावत्ते // 66 / / भणसु य जो सो विजापसाहणुजएण रक्खडा / तुमए नीओ पुति दिन्चमणी मह समीवाओ // 67 / / सो ढोइजउ सिग्धं इय भणिओ सो गओ तुरियवेगो। गंतु खणंतराओ समागओ चंदवेगेण // 68 // खयरेण समं ताहे मणिसलिलपयाणपुव्वयं विहियं / नीसेसविसविगारेण वञ्जिय जुवलयं जुगवं // 69 / / युग्मम् / / तुट्ठो नहयरवग्गो पियवया तह य परियणसमग्गा / रायावि भवसरूवं चिततो आगओ नगरं // 70 // अविय / एत्तो | तत्तो विविहावयाहि धिप्पंतजीवसाराणं / सरणं नस्थि जियाणं जिणिदधम्म पमोत्तुण // 71 / / मूलअहिबिसविसूइयपाणियसत्थग्गि| संभमेहिं च / देहतरसंकमणं करेइ जीवो मुहुनेण / / 72 / / ता एरिसम्मि चवलम्मि जीविए विसयमोहिया जीवा / मोहमहागहघेत्था | तहवि हु धम्मे पमायति / / 73 / / अह नहयरनिवहेण वोलीणा आवयत्ति तुट्टेणं / गयपुरमागंतूर्ण बद्धावणयं कयं रन्नो // 74 // सुरसुंदरीवि देवी दियहं तं चेव पढमयं काउं / गम्भवई संजाया निन्नेहा निययदइयम्मि / / 75 / / अविय / जह जह बड्डइ गम्भो | तह तह देवीवि गब्भमाहप्पा / निटूरहियया चिंतइ मारेमि निवं सहत्थेण // 76 // तो / आभासियावि रूसइ निठुरमुल्लवइ नेच्छए भोग / दट्ठोट्ठभिउडिभीमा दिट्ठम्मि परम्मुहा ठाई // 77 // तं विवरीयस रुवं दट्टण पियंवया भणइ भद्दे ! / कीस तुम निनहा बहुमनसि नेव रायाणं ? // 78 / / सुरसुंदरीइ भणिय दोसेण इमस्स 1 कण्टकानि औषधिविशेषरूपाणि / 2 अगदानि-औषधानि / 3 हुताश: अग्निः / 4 डोक्यताम् उपस्थाप्यताम् / 5 घत्यो प्रस्तः / 6 प्रमाद्यन्ति / For Private and Personal Use Only