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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदयाओ तस्स जाओ विरहो तणएण जायमेत्तेण / खीणं च तयं संपइ अट्ठहिं लक्खेहिं वरिसाण // 219|| खणमित्तसंचि-I | यपि हु देह विवागं सुदीहकालीयं / सुहमसुहं वा कम्मं भावविसेसेण जीवाण // 220 // इय नाऊण विवाग पमायनिवत्तियस्स | | कम्मस्स / दूरेण कम्मबंधस्स कारण मुयह जत्तेण // 221 // इय गुरुवयणं सोउं परिसा सब्वावि तत्थ संविग्गा। दिक्खाभिमुही| | जाया भीया संसारदुक्खाण // 222 // नरवइदेवीण पुणो विसुद्धलेसाहिं वट्टमाणाणं / जायं जाईसरणं ईहापोह करेंताण // 223 / / | सुमरियपुच्चभवाणं आगयसंवेगभावियमणाण | चरणावरणखयाओ संजाओ चरणपरिणामो // 224 // तत्तो य अमरकेऊ पुत्तं अहिसिंचिऊण रजम्मि / तकालुचियं काउं करणिज्जं तिव्वसंवेगो // 225|| अणुसासिऊण पुत्तं आपुच्छित्ता य परियणं सयलं / कमलाबईए सहिओ पव्वइओ गुरुसमीवम्मि // 226 / / युग्मम् / / सिरिदेवं नियपुत्तं कुटुंबचिंताए संठवेऊण / रन्ना सह पब्बइओ धणदेवो | भारियासहिओ // 227 / / खयरोवि चित्तवेगो चित्तगइप्पमुहखयरसंजुत्तो। निबिनकामभोगो पब्वइओ सुरिपासम्मि // 228|| खयरीवि कणगमाला पब्वइया सूरिवयणपडिबुद्धा / सहिया पियंगुमंजरिमाईहिं पभूयखयरीहिं // 229 // नरवाहणोवि राया रज्ज दाऊण मयरकेउस्स / पब्बइओ पयमूले केवलिणो सुप्पइट्ठस्स // 230 // रना सह पव्वइया खयरनरिंदाण दस सहस्साओ। कमला| वइपमुहाणं वीससहस्साई महिलाण // 231 // इय तीससहस्साई समयं पब्वावियाई केवलिणा। संनिहियदेवयाए उवणीयं तेसिं मुणिलिंग / / 232 // ता भणइ मयरकेऊ चरणं पडिवज्जिउं असत्तो म्हि / गिहिपाउग्गं धम्म ता भयवं ! अम्ह साहेसु // 233 // भणियं गुरुणा निर्वर्तितं निर्मितम् / 2 गृहिप्रायोग्य गृहस्थोचितम् / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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