________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं पण्ण रहमो परिच्छेओ // 130 // | पविट्ठ खित्ते दद्रूण हरिणजुयलं तं / अज्जुणओ हेकंतो चलिओ नीसारणट्ठाए।॥२०३॥ अज्जुणभएण हरिणी गुरुहारा वेगधाविया | सहसा / संजायपसबसमया वियणाविहलंघला पडिया // 204 // नट्ठो सारंगोवि हु पुणो पुणो अज्जुणं निरूवितो / दइयाविओगवि-* हुरियहियओ गुरुसोयसंतत्तो // 205 // करुणापरेण नीया हरिणीवि हु अज्जुणेण नियठाणं / सीयलजलेण सित्ता मुच्छाविरमे पसूया | | य॥२०६।। जायं कोड्डावणयं हरिणसिलिंब तु मुद्धडसहावं / हरिणीइ वट्टियं तं दिनो य थणो तओ तस्स // 207 // दट्ठण तं सुरूवं विलाससुसिणिद्ध नयणसोहिल्लं / बंधुसिरिए भणिय मह होइ खिल्लणं एयं // 208 // तत्तो य वामपाए बद्धं तं कोमलाइ रज्जूए / हरिणीवि विगयवियणा भएण नट्ठा तयं मोत्तुं // 209 / / मिलिया कमलस्स तओ पुणो पुणो एइ तम्मि ठाणम्मि / सिसुनेहाओ न पुणो अल्लियइ भएण सा तत्थ // 210 // उबिग्गमणा वरई सिलिंबनेहेण विमणदुम्मणिया। न चरइ तणं न य पियइ पाणिय भमइ खिज्जती // 2111 // बीयदिणेवि हु हरिणि दुरुङल्लंतिं तहेव दट्टणं / जायकरुणाए मुक्को स सिलिंबो बंधुसिरियाए // 212 // | अह सो बंधणमुक्को गंतुं माऊण सभयनेहाए / मिलिओ दट्टण तयं सारंगी निन्बुया जाया // 213 / / मज्झिमगुणसंजुत्तो दयापभावाओ अज्जुणो तत्तो / मरिऊण समुप्पन्नो एसो राया अमरकेऊ // 214 // बंधुसिरीवि हु तत्तो निबद्धमणुयाउया मया पच्छा / इह उप्पन्ना भद्दे ! देवी कमलावई तं सि // 215 / / जाया य तुम्ह दोण्हवि पुव्वभवन्भासओ गरुयपीई / जीवदयाकरणाओ विउला भोगा समणुपत्ता // 216 // कमलो हरिणीए समं विओइओजं च तत्थ खणमेगं। तक्कम्मुदया रन्नो जाओ तुम्हं सह विओगो // 217 // जं च कओ एणीएँ विरहो लीवेणे अट्ठपाहरिओ / तत्थ य तए निबद्धं कम्मं सुयविरहदुक्खफलं // 218 // निषेधन् / 2 गुरुभारा / 3 बेदनाविह्वला / 4 कोद्रववर्णकम् / 5 सिलिंबो शिशुः / 6 खेलनम् / 7 भ्रमन्तीम् / 8 निता=सुखिता / र वियो| जितः / 1. एणी हरिणी। 1 लीवो वालः / 12 अष्टप्राहरिकः अष्टप्रहरमानः / * विहलाका / For Private and Personal Use Only