________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | पत्थेइ य तं बहुसो सा पुण तं नेच्छई मणेणावि / अह अन्नया तैलाए तोयंनिमित्तं गया लच्छी // 101 / / तुरयारूढो अह निन्नओवि * पत्तोऽणुमग्गओ तीए / वियणे गहिया मैड्डाइ रोवियाँ तुरयपट्टीए // 102 // विलवंती वेगपहाविएण तुरएण पाडिया अडविं। | भिल्लेहिं समं जुज्झम्मि मारिओ निन्नओ रेने // 103 // गहियाभरणा लच्छी मुका भिल्लेहिं तत्थ अडवीए। हिंडंती तत्थ मृढ दिसा असिया सीहेण छुहिएण // 104 // अह सा मल्हणपत्ती सरस्सती मोहिलेण वणिएण / पत्थिजंती पइणो साहेइ जहद्रियं सर्व ||105 / / अह मल्हणेण रन्नो गंतुं सिम्मि तम्मि वुत्तते / उद्दालियदविणो मोहिलोवि निव्वासिओ रन्ना // 106 // पुब्बसयसह|स्साई बहूणि परिवालिऊण नियमाउं / तिमिवि कालं काउं निबद्धमणुयाउया तत्तो॥१०७। जंबुद्दीवे एत्थं अत्थि पुरी मेहलावती नाम / एरवए वरखेत्ते आरियदेसम्मि विस्थिन्ना // 108 / / भीमरहो तत्थासी राया कुसुमावली उसे देवी / तीए पुत्तताए उववन्नो मंडणो ताव // 109|| जाओ य उचियसमए देवकुमारोवमो विसालच्छो / कणगरहो से नाम विहियं उचियम्मि समयम्मि // 11 // कमसो जोन्वणपत्तो विसुद्धवंसाण रायकन्माण / रायसिरीपमुहाणं पवराणं गाहिओ पाणिं // 111 // जुवरायपए ठविओ भुंजइ माणुस्सए पवरभोए / अंतेउरमज्झगओ देवो विव देवलोगम्मि // 112 / / तीइ नयरीइ ईन्भा सहोयरा दोनि आसि संस्थाहा / सागरदत्तो य तहा समुद्ददत्तो य सुपसिद्धा // 113 // अह सो निन्नयवंठो निहओ भिल्लेहिं तत्थ अडवीए / कइवयभवगहणाई हिंडित्ता तिरियजाईसु // 114 // उव्वट्टिऊण पुत्तो सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स / धन्नाए भारियाए सुबंधुनामो समुप्पन्नो॥११५|| युग्मम् // तडागे / 2 तोयं जलम् / 3 बलात् / 4 रोपिता / 5 अरण्ये। 6 प्रार्थमाना / निजमायुः। 8 पुत्रतया। 9 इन्भो वणिक्, इभ्यः=श्रेष्ठी वा। ET 1. सार्थवाहौ। 11 उमृत्य-निष्कम्य / For Private and Personal Use Only