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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चउद्दहमो परिच्छेओ भगवंतं पुच्छ तुम पुत्तवुत्ततं // 28 // हायविलित्तो राया महया भडचडयरेण संजुत्तो। पवरगइंदारूढो पत्तो कुसुमायरुज्जाणं // 29 चरि सयलपरिवारसहिओ काउं तिपयक्खिणं मुणिवरस्स / पयजुयलं पणमित्ता उवविट्ठो उचियदेसम्मि // 30 // अह कयकेवलिमहिमो सदेवमणुयासुराइपरिसाए / गंभीरभारईए सूरी वज्जरिउमारद्धो॥३१॥ // 11 // नारयतिरियनरामरगईसु सत्तेहिं दुक्खतविएहिं / कहकहवि माणुसत्तं पाविज्जइ एत्थ संसारे // 32 // लघृणवि तं दुलहं मिच्छ चाईहिं मोहिया बहवे / न कुणंति परत्थ हिय विसयामिसलोलुया जीवा // 33 // जिणवयणसुइविहीणा कज्जाकज्जाई नेव जाणति / भक्खेयाभक्खेयं पेयापेयं न लक्खेति // 34 // गम्मागम्मविभागं गिद्धा न गणति विगयमज्जाया / धम्मियहियलोएणं वारिज्जता इय भणंति // 35 / / मूढा तुम्हे धुत्तेहिं वंचिया नत्थि कोवि जं जीवो / जो परलोयं गच्छइ सुहृदुहभोत्ता अमुत्तो वा // 36 / / तस्साभावे पावं हिंसाइकयं हविज्ज कस्सेह ? / ता पंचभूयसमुदयमित नन्नं जए किंचि // 37 // एवं विहपरिणामा निग्घिणहियया कुणति | जियघायं / अलिय वयंति, गिण्हतदत्तय, जंति परदारं // 38 // भूरिषरिग्गहनिरया रागद्दोसेहिं मोहियमईया / निसिभोयणमंसासी | गिद्धा महुमज्जपाणम्मि // 39 // कोहमयमायलोमेहिं विदुया संकिलिट्ठपरिणामा / अविरयमिच्छदिट्ठी किलिट्ठकम्मं समज्जति // | // 40 // तव्वसगा पुण कालं काउं निवडंति घोरनरएसु / निञ्च घणधयारेसु तिब्बसीउण्हकलिएसु // 41 // तत्थ य ते उववना पर* माहम्मियसुरेहिं विरसंता / छिज्जंति निर्सिंयकरवत्तदित्तपरसहिं सयतं // 42 // गुरुतिक्खकंटयाइनसिबलीनिविडसाहमज्झम्मि / | स्नातविलिप्तः / 2 परत्र परलोकविषय हितम् / 3 भक्ष्याभक्ष्यम् / 4 अमूर्तः / 5 गृह्णन्ति+अदत्तम् / 6 यान्ति सेवन्ते, परदारं-अन्यकलत्रम् / Jokell . करुण क्रन्दन्तः / 8 निशितं-तीक्ष्णम् / 9 शतकृत्वः / 1. सिंबली शाल्मलीवृक्षः / // 116 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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