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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिज चउद्दहमो परिच्छेओ। चउद्दहमो परिच्छेओ // 115 // एवं च जाव साहइ धणदेवो नरवइस्स वुत्तंतं / एत्थंतरम्मि सुरसुंदरीवि गुरुसोयसंतत्ता // 1 // हा! मह इमस्स दुक्खागरस्स हि| ययस्स बजघडियस्स / अस्सोयव्वं सोचावि फुट्टए जं न सइखंडं // 2 // किं धरिएहिं इण्हि इमेहिं पाणेहिं दुक्खनिलएहिं / मणवल्ल हस्स जायम्मि मंगुले जाणभंगम्मि // 3 // सइ दंसणेवि नेहस्स पगरिसो दंसिओ तए नाह ! / सत्तुजएण रुद्धो विमोइओ जेण ताओत्ति | // 4 // अवहरिया जेणाहं सुरेण तेणेब छिन्नवरविजो। कह होहिसि नाह ! तुम जाणविवत्तीए जलहिम्मि? // 5 // हा! कह ससंक| करनिम्मलं मुहं नाह ! तुह पलोइस्सं / एवं विहम्मि विहिए विहिणा हयभागधेया हं ? // 6 // चलनेहाओ महिलाओ होंति सच्चो | जणप्पवाओऽयं / जं एरिसेवि निसुए अञ्जवि जीवामि पावा हं // 7 // एमाइ विचिंतेंती सोगावेगाओ विगयचेयना / पासट्ठियदेवीए |पडिया मुच्छाए उच्छंगे // 8 // कमलावईवि देवी संभावियसुयविओगसोगत्ता / बाहजलाविलनयणा विलविउमेवं समाढत्ता // 9 // | हा ! पुत्तय ! अडवीए तइया मह जायमित्तओ हरिओ। इहिपि अकयदसण ! कत्थ गओ मह अउन्नाए // 10 // धना एसा | जीए ताव य तुह पुत्त ! पुलइयं वयणं / हा! हा! अहं अहन्ना जाए जाओवि न हु दिट्ठो // 11 // जं तइया कुलवइणा आइटुं, होज किं नु तं अलिय / संपत्तजोव्वणो सो मिलिही किल हत्थिणपुरम्मि? // 12 // रायावि अमरकेऊ करयलपल्हत्थवयणविच्छाओ। 1 शतखण्डम् / 2 निलय स्थानम् / 3 मंगुल-अनिधम् / 4 अपुन्यायाः / 5 अधन्या / ( पल्हत्थो पर्यस्तः / // 115 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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