________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी तेरहमो चरिअं परिच्छेओ 14 // हु देवो महाभागो॥२२३॥ तिसृभिः विशेषकम् // अह कयअब्भुट्ठाणो अवगूढो तेण सायरं अहयं / भणिओ य ममं परिजाणसीह | किंवा न तं भद्द ! // 224 // तत्तो य मए भणिय अज्जवि सम्मं न याणिमो देव! / ता साहिजउ अम्हं को सि तुम कत्थ दिट्ठो वा ? // 225 / / भणियं देवेण तओ आसि तए हथिणाउरे नयरे / दिट्ठो मणोरमुाणसंठिओ देवसम्मोत्ति // 226 // लक्खं दाऊण | तया जोगियहत्थाओ सुपइट्ठसुओ। जयसेणो नामेणं विमोइओ जस्स बयणेण ||227|| जो य तया अडवीए सत्थविलोवम्मि सुप्पइट्ठस्स पल्लीवइणो पासे बालग्गाहो तए दिट्ठो // 228 / / तह य कुसग्गपुराओ नियत्तमाणेण दडपल्लीए / सीहगुहाए बाहिं करंकमज्झडिओ दिवो // 229 // पलिच्छिन्नचलणजुयलो गुरुपहरणघायजज्जरियदेहो / गाढं तिसाभिभूओ जो तइया कंटगयपाणो॥२३०॥ | परहियरएण तुमए अरहं देवो सुसाहुणो गुरुणो / इय अञ्चतं दाउं सम्मत्तं नियमसंजुत्तं / / 231 // तत्तो य नमोकारो दिनो संसा| रसागरुत्तारो / जस्सासि तए तइया सो हं भो! देवसम्मजिओ // 232 / / सप्तभिः कुलकम् / / नवकारपभावाओ वेलंधरनागरायमज्झम्मि / जाओ सिवओ नाम सामाणियपणयपयकमलो // 233 // तत्तो य मए भणियं एवं एयंति किंतु पुच्छामि। ठाणम्मि कम्मि अच्छह तुम्हे साहेह मह एयं 1 // 234 / / अह सुरवरेण भणियं निसुणसु मेरुस्स दक्खिणदिसाए। बायोलीससहस्साहिं | जोयणाणं अणूणाई // 235 // लवणसमुदं ओगाहिऊण अत्थित्थ पव्वओ रम्मो / सत्तरससय एगवीसे उड्ढे उच्चत्तणं जस्स / / 236 // | अद्भुट्ठजोयणाई समंतओ निययकतिपसरेण / लवणोहिस्स सलिलं पयासई अंकरयणमओ // 237 // नामेण दउभासो तस्स य सिह| रम्मि अस्थि वरभवणं / बावट्ठिजोयणुच रम्मं वररयणचिंचइयं // 238 / / तत्थ य वसामि अयं सामाणियदससहस्स परियरिओ। 1 तृडभिभूता-पिपासामान्तः / 2 जिओ-जीवः / 3 बायालीसा=द्विचत्वारिंशत् / 4 अनूनानि। 5 अङ्कस्थितरत्नमय इत्यर्थः / 6 बावट्ठीद्वाषष्टिः / // 114 // For Private and Personal Use Only