________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं तेरहमो परिच्छेओ // 106 // सत्तुंजयनरवइणा थोवबलस्सेह तायस्स? // 245 / / एमाइ चिंतयंतीइ ताहिं गुरुसोयतावियाए मए / पुच्छंतस्सवि सिटुं समंतभहस्स नो किंचि // 246 / / तत्तो य आणिया हं भूवइपुरओ समंतभद्देण / सज्झससोएहिं तहिपि तारिसं किंचि नो कहियं // 247 // इय पयडिय गुज्झं नेहसाराइ तुझं नियचरियमेवं हंसिए! सचमेयं / अइगरुयसिणेहा साहियं वित्थरेणं पणयपरवसाए पुच्छियं जं तेइत्ति / / 248 // साधणेसरविरइयसुबोहगाहासमूहरम्माए / रागग्गिदोसविसहरपसमणजलमंतभूयाए॥२४९।। एसोवि परिसमप्पड़ || सुरसुंदरिहरणवनणो नाम / सुरसुंदरीकहाए बारसमो वरपरिच्छेओ // 250 // // बारहमो परिच्छेओ समत्तो॥ तेरहमो परिच्छेओ। अह हंसियाए भणियं अबो ! अइदूसहं समणुभूयं / जं किल निसुणताणवि उप्पजइ गरुयउव्वेवों // 1 // एवंविहदुक्खाणं न * य उचिया होसि पियसहि ! तुमति / किं पुण कीरइ- विहिणो विचित्तचरियस्स लोयम्मि ? // 2 // निचं सुहोचियपि हु बहुविहदु| खाण कुणइ आवासं / अहिट्ठइट्ठविरहपि विरहियं कुणइ दइएण // 3 // इय सुरसुंदरि ! विहिणो विचित्तयं जाणिऊण उव्वेवं / थेवंपि हु मा काहिसि, को णु गुणो तस्स करणेवि // 4 // अन्नं च जारिसाई तुह देहे लक्खणाई दीसंति / तह होयव्वं तुमए विजाहररा 1 पञ्चम्यन्तम् / 2 तद त्वया / 3 उद्वेगः / // 106 // For Private and Personal Use Only