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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandi सुरसुंदरी चरि बारहमो परिच्छेओ // 104 // तव्वयणं सोऊणं पियंवयं ठाविऊण मह पासे। कइवयपुरिससमेओ जिणभवणं पाविओ एसो // 185 // ताव य पियवयाए पुट्ठा कह सुयणु ! एन्थ तं पत्ता / भूमीचरमणुयाणं सुदुग्गमे रयणदीवम्मि ? ||186 // कीस व विसमुवर्भुजिय अप्पा बसणम्मि पाडिओ | भीमे। तत्तो य मए तीए पुब्बुत्तं साहियं सवं // 187 / / अह सावि मए पुट्ठा चित्तपडं अप्पिऊणमम्हाणं / तइया कत्थ गया तं| | किंवा अणुचिट्ठियं तुमए // 188 // कह वा उवभुत्तविसा भीमअरन्नम्मि पाविया अहयं / कह वा दुटुंपि विसं खणेण देहाओ | अवणीयं 1 // 189 // भणियं पियंवयाए चित्तपडं अप्पिऊण तुम्हाण / वेगेण अहं पत्ता इमम्मि वररयणदीवम्मि // 190 // दिट्ठो य मयरकेऊ कइ| वयनियपरियणेण संजुत्तो। भाउसिणेहेण ठिया कइवयदिवसाणि अहमेत्थ // 191 // एत्थागयताएणं भणिया हं पुत्ति! चिट्ठसु | इहेव / होसु पडिचारिगा इह ताव तुमं मयरके उस्स // 192 // जं आणवेइ ताउत्ति जंपियं ताहे एत्थ दीवम्मि / विजापसाहणुञ्जय| भाउसमीवे ठिया सुयणु॥१९३॥ नाउं विजासिद्धिं बहुविहखयरेहिं संजुओ ताओ। अट्ठाहियानिमित्तं समागओ एत्थ दीवम्मि // 194 // महया विच्छडेणं जिणिंदमहिम करेत्तु विजाओ। संपूइय जहविहिणा संमाणिय माणणिजजणं // 195 / / पूइत्तु पूयणीए | दाणं दाऊण खयरलोयस्स / वरनट्टगीयवाइयकलियं अट्ठाहियं काउं // 196 // अजेव निसाविरमे संपत्तो रयणसंचयं ताओ। काय व्वसेसकिन्चो ठिओ इह मयरकेऊवि // 197 // तिसृभिः विशेषकम् / / काउं पभायकिच्चं सरीरचिंताए निग्गओ अञ्ज / वंसिर्कुडंगासने | दिटुं च पहाणकेरवालं // 198 // गहिऊण कोउगेणं जमजीहासच्छहं तयं खग्गं / तरुणतमालदलाभं फुरंतधारासुदुप्पिच्छं // 199 // 1 अणुचिट्ठिय अनुष्ठितम् / 1 परिचारिका / 3 तात इति / 4 कुडाः वनम् / 5 करवाल: खड्गः / 6 सच्छह सदशम् / // 104 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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