SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHA HR 16368 | इव मत्ता इव विगयचेयणा जाया / सोहग्गमंदिरं तं दहणं चित्तलिहियपि // 227 // नाऊण मज्झ भावं वसंतियाए सहीइ संलत्तं / को। * एस ए लिहिओ पियंवए ! लोयणाणंदो // 228 / / भणियमह कुमुइणीए वसंतिए ! किं तुहित्थ पुच्छाए / कामिणिहिययाणंदो | लिहिओ रइविरहिओ मयणो // 229 / / ईसि हसिऊण तओ सिरिमइयाए सहीए संलत्तं / एत्तियकालं रइविरहिओ इमो आसि पंच| सरो॥२३०॥ संपइ रईए सहिओ एसो मयणोत्ति किं न पुलएसि / पयडा रईवि एसा आसन्ना चेव एयस्स // 23 // तं सोउं| | सव्वाहिं सहत्थतालं तु पहसिउ भणियं / एवं एवं सिरिमइ ! सम्मं हि विणिच्छियं तुमए // 232 / / अह लद्धचेयणाए विनाया हंति जायलजाए / आगारं विणिगृहिय सकोवमेवं मए भणियं // 233 // हंभो! अलियपलाविणि ! दसणमित्तपि नत्थि एएण / कत्तो आसन्नत्तं जेण कया हं रई तुमए ? // 234 // तीए भणियं मा सहि ! रूससु, दिदृम्मि जेण एयम्मि। चित्तम्मि रई जाया तेण रेई / तं मए भणिया // 235 // मणियं च मए किंवा असमंजसभासिणीहि एयाहिं / ताव य, पियंवए ! कहसु एस को वा तए लिहिओ? ||236 // भणियं पियंवयाए भाया मह एस मयरकेउत्ति / रूवेण जो अणंगो सूरो चाई कलाकुसलो / / 237 / / कइयावि चित्तफ|लए कइयावि पडम्मि तस्स पँडिरूवं / लिहिऊण मए अप्पा विणोइओ एत्तिय कालं // 238 / / संपइ पुण असमत्था सहिउँ विरह इमस्स चलिया है। ता भगिणि! मुंच वच्चामि जेण पासम्मि तस्सेव / / 239 // भणियं च सिरिमईए एवं जो गरुयगुणगणावासो। सो तुह भायाऽवस्सं दट्टब्बो होइ अम्हंपि // 240 // चित्तगएणवि ताव य आणंदो सहिजणस्स संजणिओ / इहि पञ्चक्खंपि तए त्वया / 2 तुह+इत्थ तयात्र / 3 रुष्य-रोष कुरु। 4 रतिः-सुखम् / 5 रतिःकामपत्नी। 6 मया / 7 प्रतिरूपम् प्रतिबिम्बम् / 8 विनोLatell दित: आमोदितः / 698 210*-*- *-* For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy