________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | निययवृत्तं // 14 // तहवि हु अलंघणीया आणा तायस्स तेण साहेमि / जंबुद्दीवे भरहे कुसग्गनयरम्मि नामेण // 141 // अत्थि पुरं सुपसिद्धं तत्थ | य नरवाहणो पुहइनाहो / रयणवई से देवी तीए धूया अहं ताय! // 142 // युग्मम् // सुरसुंदरित्तिनामा पुत्विं दुबिहियकम्मपरिणामा। + वेरियसमेण केणइ पिसायरूवेण अवहरिया // 143 // एत्तियमित्त भणिउं सोयसमुब्भुयगरुयमन्नुवसा / थूलंसुए मुयंती निहुयं रोउ पवत्ता सा // 144 / / एत्थंतरम्मि रनो अद्धासणसंगयाए देवीए / कमलावईए गहिया रोवंती सा निजुच्छंगे // 145 // भणिया वच्छे ! मा रुय न होइ दीवंतरं इमं सुयणु ! / हत्थिणपुरं हि एयं एसो राया अमरकेऊ / / 146 / / कमलाबई अहंपि हु, सहोयरो होइ तुह पिया मज्झ / वच्छे ! तुमपि अग्हं सुयपुवा नाममेत्तेण // 147 / / बहुविहपओयणेणं कुसग्गनयराओ जो जणो एंतो। सो | सवो सुरसुंदरि! तुह गुणनिवहं मह कहिंतो // 148 // एवं सुरूवकलिया एवं पिउणो य वच्छला बाढं / एवं कलासु कुसला एवं | दक्खिन्नदयजुत्ता // 149 // ता मा कुणसु विसायं एयपि य पिउहरं निज तुज्झ / अच्छसु वीसंस्थमणा कीडंती विविहकीडाहिं | // 150 // एवंविहवयणेहिं आसासित्ता निजुत्तरीएण / अंसुयधोयकवोलं तीए मुहं संपमजित्ता // 151 // मुहसोयं दाऊणं नीया | देवीए मंदिरे नियए / तत्थवि उविन्गमणा अच्छइ गुरुसोयसंतत्ता // 152 / / युग्मम् // नीससइ दीहदीहं खणेण थूलसुयाई मिल्लेई / मुच्छिाई खणेणं खणेण संवरइ अप्पाणं // 153 / / विलवइ खणेण विहसइ रोवइ खणेण [यल्लिया होइ / गुरुचिंताभरविहुरियहि| यया परिहाइ अणुदियहं // 154 // अह तं विगयाणंदं पिच्छिय कमलावई विचिंतेइ / आणाकारी सघोवि परियणो ताव एईए 1 मन्युः संतापः / 2 विश्वस्त मनाः। 3 मिल्लेइ-मुञ्चति / 4 मूयल्लिया-मूका / 5 परिहाइ-कृशीभवति / 6 अनुदिवसम् / For Private and Personal Use Only