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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी गायो *परिच्छेओ * सकम्मवसयाण नवरि जीवाण / जायंति दूसहाई दुक्खाई एत्थ संसारे // 97 // सकयं सुहमसुहं वा इको अणुहवइ विविहजोणीसु। चरि। माया पिया य भत्ता बंधुजणो वावि न हु सरणं // 98 // रागद्दोसवसाए असुहफलं आसि जं कयं कम्म। तस्स वसाओ सुंदर! | संपत्ता वेसणरिंछोली // 99 // एवं गएवि जं देवि! एत्थ कूवम्मि निवडिया एवं / संपत्ता तं मन्ने अनन्नपुण्णोदओ कोवि // 10 // // 92 // | पंडिकूडकारिणावि हु विहिणा विहियं तु एत्तियं लटुं। जं अक्खयदेहाए तुमए सह संगमो विहिओ // 101 // एमाइबहुविगप्पं | देवि आसासिऊण सो राया। नियसिन्नेण समेओ समागओ गयपुरं कमसो॥१०२॥ कारियगरुयपमोओ धुव्वंतो नयरनारिनिव. | हेण / कमलावईसमेओ दाणं देंतो अमरकेऊ // 103 / / कयमंगलोवयारो नायरजणजणियहिययआणंदो। नियमंदिरे पविट्ठो पैंकल| पाइकपरियरिओ // 104 / / युग्मम् / / एवं च तस्स रनो अदिद्वदुक्खस्स देविसहियस्स / बोलीणाई कइवि हु वरिसाणं सयस| हस्साई // 105 // ___अह अन्नया कयाइवि अत्थाणगयस्स राइणो तस्स | पडिहाराणुनाओ समंतभद्दोत्ति नामेण // 106 // उजाणम्मि निउत्तो | पत्तो पणमित्तु रायपयकमलं / सीसनिवेसियकरकमलसंपुडो हरिसिओ भणइ // 107 / / युग्मम् / / पुर्व देवेण अहं नेमित्तियसुमइवय| णयं सोचा / कुसुमायरउजाणस्स पोलगत्ते निउत्तो म्हि // 108 // तं च तिसंझं निचं पलोयमाणस्स एतिओ कालो। वोलीणो नय | दिटुं किंचिवि नेमित्तियाइ8 // 1.9 // अञ्ज पुण अप्पभाए गयणे उजाणमज्झयारम्मि / कुसुमियसाहिसमूहं इओ तओ पिच्छमाणेण व्यसनम् कष्टम् / 2 रिछोली पङ्क्तिः / 3 अनन्यपुण्योदयः असाधारणसुकृतविपाकः / 4 पडिकूई प्रतिक्लम् / 5 स्तूयमानः। 6 नागराः नगरनिJadell वासिनः / 7 पक्को समर्थः, दृप्तश्च स्वार्थे ले पक्कलो। 8 नियुक्तः। 9 पालकत्वे / 10 अप्रभाते-रात्रिप्रान्तभागे इत्यर्थः / // 92 For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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