________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एत्थंतरम्मि केणवि भणिया किं सुयणु ! रोयसे करुणं ? / तत्तो ससंभमाए पलोइयं मे तओहुत्तं // 195 // कइवयपुरिससहाओ | | तरुणनरो वेसरीइ आरूढी / कैयमुहसंधी पुरओ दिट्ठो उद्धृलियगिल्लो // 196 / / अह सो दट्ठण ममं विम्हियहियउब्ध वेसराहिंतो। उत्तरिय मज्झ चलणेसु निवडिओ भणइ एवं तु // 197 / / परिजाणसि भगिणि ! ममं सिरिदत्तो हं कुसग्गनयराओ / आसि गओ | परविसए वणिजबुद्धीए सत्थजुओ॥१९८।। वारसमवच्छराओ पुणरवि चलिओ पुरम्मि निययम्मि / सत्थेण समं इण्हि संपत्तो इह | पएसम्मि // 199 / / ता भगिणि! केण विहिणा जाया एगागिणी तुम एत्थ ? / इय भणिया तेण अहं विगयभया झत्ति संजाया | // 200 // तत्तो य मए सिट्ठो गयावहाराइनिययवुत्तंतो / अह दिनवयणसोया भणिया वणिएण तेणाहं // 201 // दूरम्मि हथिण| पुरं सावयचोरेहिं दुग्गमो मग्गो / आसन्न खु कुसग्गं किं काय तुमे भगिणि! ? // 202 / / तत्तो य मए भणिय कुसग्गनयरम्मि | बच्चिमो ताव / पेच्छामि बंधुवग्गं पभूयकालाओ सिरिदत्त ! // 203 / / अह तेण सहरिसेणं नीया सस्थम्मि निययआवासे / विणओव* यारपुव्वं च कारिया सयलदेहठिई / / 204 / / तं देवदिनकुंडलपमुहं सव्वंपि निययआभरणं / मोत्तूण अंगुलीयं समप्पियं तस्स वणि| यस्स / / 205 / / तत्तो सत्येण समं चलिया सिरिदत्तपरियणसमेया। किजंतविविहविणया वणिएणं, डोलियारूढा // 206 / / सोवि हु | सत्थो जाव य लहुयपयाणेहिं वयइ अणुदियहं / कइवयपयाणगाई ता एगदिणम्मि अडवीए // 207 // अवसउणेणं थक्को दियहे | दियहे न जायए सउणं / जाव य दिवड्डमासे वोलीणे सव्वसँथिल्ला // 208|| संबलरहिया तहई ठाउमसत्ता तओ समुच्चलिया। तदभिमुखम् / 2 कृतो मुखस्य सन्धिः संबन्धो येन सः, संजातदर्शन इत्यर्थः / 3 विषयः देशः / 4 दत्तवदनशौचा=कृतमुखशुद्धिकेत्यर्थः / 5 होलिका शिविका / 6 अपशकुनेन / 7 दिवङ्क-द्वितीयाम् i , साधकामित्यर्थः / 8 सथिल्ला पार्थराबपिनो जनाः / For Private and Personal Use Only