________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी दसमो | परिच्छेओ चरिज। ||85 // | दट्ठणमिणं सुमिण पडिबुद्धो चिंतए इमं राया। एयं हि सुमइभणियं दिलै सुमिणं मए अज्ज // 153 / / ता होही लहु इण्हि मज्झ | वयंतस्स उत्तरदिसाए / विसमदसापत्ताए देवीए संगमोऽवस्सं // 154 // इय चिंतिऊण राया नियदेसपलोयणच्छलेणं तु / गुरुसे णापरियरिओ नीहरिओ हत्थिणपुराओ // 155 / / कइवयपयाणगाई गंतुं उत्तंगगिरिसमाइन्ने / अइगुविलतरुसणाहे अडविपएसम्मि | एगम्मि // 156 // आवासिओ ससेम्रो अह कूवे दीहतणसमोच्छइए / कहवि हु पमायवसओ पडिया रन्नो चमरहारी // 157 / / युग्मम् / / अह रना आणत्तो पुरिसो रज्जुप्पओगओ तत्थ / ओइन्नो संतमसे इओ तओ जाव गविसेइ // 158 // ता एगत्थनिलुक पिच्छइ जुवई तडीइ अगडस्स / भयकंपतसरीरं संतमसे तत्थ अञ्चतं // 159 // कासि तुम इह सुंदरि ! इइ पुट्ठा जा न देइ पडिवयणं / ताव य जलमज्झगया विलासिणी कंठगयपाणा // 160 // संपत्ता तेण तओ चित्तूण तयं कमेण नीहरिओ। वजरइ राय! एत्थं अन्नावि हु अच्छए जुबई // 16 // युग्मम् // आभट्ठावि न भासइ भएण कंपंततणुलया वरई / एयं निसम्म रन्नो फुरियं अह दाहिणं | नयणं // 162 / / अह विम्हिएण रन्नो विचिंतियं किं हविज सा देवी / अहवा इह अडवीए देवीए संभवो कत्थ // 163 // अहवा कम्मवसाणं सत्ताणं नवरि एत्थ संसारे। भवियव्वयावसेणं नत्थि तयं जन संभवइ // 164 // जइ सा हविज देवी ता सुंदरमेव, कावि अह अन्ना। तहवि हु उत्तारिजउ करुणामूलो जओ धम्मो // 165 // इय चिंतिऊण रन्ना भणिओ पुरिसो तयंपि कड्डेहि / अह | सो रज्जूइ पुणो पुरिसो कूवम्मि ओइन्नो // 166 // भणिया य सुयणु! अयं रनो सिरिअमरकेउनामस्स / वयणेणं तुहुत्तारणकन्जेणं पुणरवि पविट्ठो।।१६७।। ता आरुह मंचीए नरगागाराओ अंधकूवाओ। जेणुत्तारेमि लहुं एयं च निसम्म सा वयणं // 168|| आ 1 लधु शीघ्रम् / 2 गुपिलं गहनम् / 3 दीर्घतृणसमवच्छन्ने। 4 चामरधारिणी। 5 संतमसे अन्धकूपे / 6 आभाषितापि / 7 अवतीर्णः। * निलीना। // 85 // For Private and Personal Use Only