________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पढमो परिच्छेओ। सुरसुंदरी- वि संगमो जइ ता रज होज सकयत्थं // 13 // एवं चिंतेतस्स य वम्महसरगोयरम्मि पडियस्स / वीसरिओ से अप्पा चित्तेऽवक्खिचरित्र। त्तचित्तस्स // 9 // तत्तो खणंतराओ संमीलियलोयणो अमरकेऊ / सीहासणाउ पडिओ मुच्छाए परवसो सहसा // 15 // हा! हा! * हत्ति भणंता अत्थाणगया समुट्ठिया लोया / वीयंति वीयणेहिं सीयलसलिलेण सिंचंति // 96 // वयणे खिवंति खिप्पं कप्पूर तह // 4 // | मलेति अंगाई / तं दटुं चित्तसेणो पहसियवयणो दढं जाओ // 97 // रे! रे ! कोवि हु पावो हिमररूवेण आगओ एसो / कम्म-| शणगारी जेणिह विमोहिओ अम्ह सामित्ति // 98 // तालेह हणह बंधह एवं भणतेहिं अंगरक्खेहिं / गहिओ सो हम्मंतो एवं भणिउं सेमाढत्तो // 19 // भो ! भो ! भद्दा ! नाहं दुट्ठो ता मा मुहा कयत्थेह / तत्तो य तेहिं भणिय कहं न दुट्ठो तुम पाव ! 1 // 10 // | कम्मणकयं हि चित्तं पैयसिय कीस राइणो तुमए / तह मुच्छियम्मि देवे वियसियवयणो य किं जाओ? // 101 // ता कहसु केण| रण्णो वहणत्थं पेसिओ तुम पाव ! 1 / तो भणइ चित्तसेणो अक्खिस्स तुम्ह सव्वंपि // 102 // रन्नो अब्भुदयत्थं समागओ न उण | दुट्टबुद्धीए / ऐमाइ भणंतोवि हु बद्धो सो रायपुरिसेहिं // 103 / / एत्थंतरम्मि राया गयमुच्छो संस्थचेयणो जाओ / अह नरवइणा | भणिय मुंचह भो! चित्तगरमेयं // 104 // उच्छोडियबंधो सो रन्ना भणिओ य भद्द ! उवविससु / आइक्खसु मह सच्चं केण तुमं| पेसिओ एत्थ ? // 105 / / तो भणइ चित्तसेणो निसुणसु नरनाह ! एत्थ परमत्थं / चित्तगरवेसधारी समागओ जेण अहमेत्थ / ॐ // 106 // अत्थेत्थ कुसग्गपुरं सुपसिद्धं चेव देवपायाण / नयरगुणेहुववेयं धणधनसमिद्धजणकलियं // 107 // पणइजणपूरियासो | 1. वम्महो=मन्मथः / 2 विस्मृतः / 3 अभिमरो धनादिलोभतो मरणभयरहितं साहसकर्मकारी / 4 हम्मतो इन्यमानः / 5 समाढत्तो समारब्धः / / कदर्थयत / 7 प्रदर्शितम् / 8 आख्यास्यामि / 9 एवमादि / 1. स्वस्थचेतनः / 11 प्रणयिजनः अर्थिसमुदयः। // 4 // For Private and Personal Use Only