________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit सुरसुंदरी चरिअं। नवमो परिच्छेओ। // 72 // * अच्छए पलीणो सो / काऊण गोसकिच्चं समागओ सत्थ जुवराया // 28 // दीवयवग्गकरेहिं नरेहिं उजओइएण मग्गेण / वच्चोहरगमणि च्छा अह जाया रायउत्तस्स // 29 // पुरिसेहिं तत्थ दिट्ठो वच्चोहरसंठिओ स दुट्ठमई / आयडूंतो खग्गं गहिओ बद्धो य सहसत्ति // 30 // | जुवरना नाओ सो नाहियवाई स एस कविलोत्ति / मूर्ण वायम्मि जिओ मज्झ वहट्टा इह पविट्ठो // 31 // दट्टण दीणवयण वेवंतसरी| स्यं तय कविलं / परिचत्तजीवियासं नाया करुणा कुमारस्स ॥३२॥भणियं कुमरेण तओ नीवंतो ताव इण्हि मुको सि / मोत्तण मज्झ | देसं ठाएयव्वं तुमे पाव!॥३३॥ इय भणिओ सो नहो गंतूण ताहि दूरदेसम्मि / भिल्लजणाइनाए अवडिओभिल्लपल्लीए // 34 // अह | अन्नया य पउमो पुत्तं अहिसिंचिऊण रजम्मि / जुवराइणा समेओ पव्वइओ गुरुसमीवम्मि // 35 / / दोनिवि गुरुणा सहिया विहरंता बहुविहेसु देसेसु / सत्थेण समं चलिया रयणपुरं नाम वरनयरं // 36 // सत्थाओ कहवि भट्ठा दोनिवि अडवीए मोहिया मुणिणो। | संपत्ता पल्लीए पाणयअट्ठा पविट्ठा ते // 37 // दिट्ठा य परियडंता कविलेणं कहवि पंचभिन्नाया। कुद्धो य दढं एसो दवण मुणि समर केउं // 38 // चिंतेइ ताहे कपिलो इमेण वाएवि निजिओ अहयं / निविसओ आणत्तो तइया य इमेण पावेण // 39 / / ता कवडेणं केणवि | वइरस्संतं करेमि इण्हिपि / इय चिंतिऊण वंदइ ते मुणिणो परमविणएण // 40 // नीया य निजे गेहे विसमीसं भत्तपाणयं दिनं / | भणिया य विणयपुवं भयवं! एत्थेव भुजेह // 41 // अद्धाणगमणखिन्ना निवियणे एत्थ एगदेसम्मि। भुंजिय बीसमिउं तो पभायकाले वएजाह॥४२॥ एवं भणिया तेणं सुहभावा बीसमित्तु खणमेगं / सज्झायं काऊणं पारद्धा भोयण काऊं // 43 // संनिहियदेव 1 राजपुत्रस्य / 2 आकर्षन् / 3 भिस्तजनैराकीर्णायां व्याप्तायाम्। 4 प्रत्यभिज्ञातौ='तावेवेमौ' इत्युपलक्षितौ। 5 तौ कर्मतापन्नौ / 6 निर्विजनेस एकान्ते। // 72 // For Private and Personal Use Only