________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी अट्ठमो परिच्छेओ। चरिअं। // 66 // पुची गुणाण आवासो। पुव्वुत्तरदिसिभाए अवडिओ नंदणुजाणे // 103 // सघोवि नयरलोओ विणिग्गओ सूरिवंदणनिमित्तं / धणभूईवि हु चलिओ भत्तीए तणयसंजुत्तो // 104 // उम्मुक्कवाहणो अह दूराओ विहियउत्तरासंगो / ति पयक्खिणिऊण गुरुं वंदइ परमाए भत्तीए // 105 // भीमभवोयहिनिवडंतजंतुसंतरणवरतरंडम्मि / दिनम्मि धम्मलाभे गुरुणा, सेसे मुणी नमिउं // 106 // उवविट्ठो सत्थाहो महिवढे पुरजणेण संजुत्तो। सूरीवि मोक्खमग्गं जिणधम्म कहिउमाढत्तो // 107 // युग्मम् / / अविय / सम्मइंसणमूलो पंचमहब्बयमहल्लदढखंधो। समिईगुत्तीतवसंजमाइसाहापसाहिल्लो // 108 // विविहाभिग्गहगोच्छो मणहरसीलंगपत्तसोहिल्लो / वरलद्धिकुसुमकलिओ सग्गऽपवग्गाइसुहफलओ // 109 // चारित्तकप्परुक्खो वित्थरओ साहिओ जिणाणाए / दुहतावतावियाणं जियाण सरणं अणन्नसम // 110 // तिसृभिः कुलकम् / चवलाई इंदियाई दुक्खनिमित्तं च विसयसंगोवि / कोहाइणो कसाया निबंधणं दोग्गईए उ॥१११॥ एक्कसि कओ पमाओ जीवं पाडेइ भवसमुद्दम्मि / भीमो य भवो बहुसो पया| सिओ तीए परिसाए // 112 / / मूरिस्स तस्स वयणं परमामयसच्छहं निसामित्ता / संविग्गा सा परिसा जहागयं पडिगया सव्वा // | // 113 // सोऊण सुधम्मनामो धम्ममई गुरुगिरं निसामित्ता / संसारभउम्विग्गो पणमिय सूरिं इमं भणइ / / 114 // इच्छामि तुम्ह मूले निरवज गिहिउं सुपध्वजं / जणगेहिं अणुनाओ भीओ जरजम्ममरणाणं // 115 // भणियं गुरुणा य तओ होउ अविग्धं तुहेत्थ वत्थुम्मि / अम्मापिऊहिं मुको अह सो पश्वाविओ गुरुणा // 116 // अम्भसियदुविहसिक्खो संजमतवविणयकरणउज्जुत्तो। विहिणा 1 तरण्ड-प्रवहणम् / 2 महीपृष्ठे / 3 महल्लो महान् / 4 समितिगुप्तितपःसंयमादय एव शाखाप्रशाखा यस्य स तथा / 5 गुच्छा-स्तबकः / बक्सोवृक्षः / 7 अकृत् / 8 धर्मे मतिर्यस्य स धर्ममतिः / 1 भउविग्गो-भयोद्विमः / 10 निरवद्या-निर्दोषाम् / 11 प्रवाजितः दीक्षितः / 11 प्रहणासेवनरूपा * द्विविधा शिक्षा / // 66 // For Private and Personal Use Only