________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit सुरसुंदरीचरिअं। छट्टो 189*-** 99* *539- // 52 // भणिओ // 202 // मा भद्द ! कुणसु सोयं एरिसओ चेव एस संसारो / इट्ठविओगाऽणिट्टप्पओगदुक्खेहिं संकिनो // 203 // एयम्मिा | वसंताणं जीवाणं विसयमोहियमणाणं / संजोगविप्पओगा अणंतसो मद्द ! जायति // 204 // परमत्थओ य दुक्ख जायइ नियदुङक- परिच्छेओ। म्णा अणियं / हवा हु निमित्तमित्तं सेसं पुण बज्झअत्थम्मि // 205 // ता तेण नहयरेणं न मज्झपरमत्थओ कयं दुक्खं / किंतु नियकम्मजणिय एवं भावेसु नियचित्ते // 206 // अविय / “पत्थरेणाहओ कीवो पत्थर डेक्कृमिच्छई / मिगारिओ सरं पप्प सँरुप्पचिं विमग्गई // 207 // " ता भद ! जिणा| णाए कम्मसमुच्छेयणम्मि उज्जमसु / तत्तो विलीणकम्मो पाविहिसि न एरिसं दुक्ख // 208 / / इय केवलिणा भणिओ पडिबुद्धो धणवई इमं भणइ / इच्छामो अणुसद्धिं पव्वज देह मे भय ! // 209 / / केवलिणा से दिना पवजा सव्वपावमलहरणी / अह जाओ | सो समणो सामन्मगुणेहिं उववेओ // 210 // पुच्चसयसहस्साई तीसं काऊण उग्गतवचरणं / तेमासिय च काऊण अणसणं चसंदेहो | सो // 211 // उववण्णो ईसाणे अच्छरगणसंकुले विमाणम्मि / चंदज्जुणाभिहाणे देवो चंदज्जुणो नाम // 212 // युग्मम् / / ओहिला णेण तओ नाऊणं सयलनिययवुत्तत / सो हं भो भो भद्दा ! समागो एत्थ नयरीए // 213 // बसुमइकठविलग्गो सयणीयगओ पसुत्तओ दिडो / पच्छाइयनियरूवो धणवइरूवेण एस ठिओ // 214 // जाओ य मज्झ कोवो तव्वसओ चिंतिय मए एयं / मारेमि | | इमं पावं मह दइयाए सह पमुत्रं // 215 // जणणिजणयाण अहवा जाणावित्ता य सयललोयस्स / एयस्स दुट्टचरियं काहामि | // 52 // 1 कम्मुणाकर्मणा / 3 बज्जो यायः / 3 पत्थरो-प्रस्तर: पाषाणः / / क्लीवः, प्रस्तावादत्र श्वा / 5 हक्कु दंष्टुम् / / पप्प प्राप्य / 7 स्वरस्य | शब्दस्योत्पत्तिम् / 8 अनुशास्तिम्भाशाम् / 9 श्रामण्यगुणैः / 10 त्रिंशत्पूर्वलक्षमितानि 'वर्षाणि' इति शेषः / 11 शापयित्वा / 08-*48 *** For Private and Personal Use Only