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रना जिनमंदिरोने विषे हम्मेशां गायन श्रने नृत्य विगेरे उत्सवो थाय ने. ॥२५॥ al हवे राजगृह नगरमां राजा कोण हतो? ते कहे . ते राजगृह नगरने विषे रूडा |
आचरणथी सुशोजित (गोल श्राकारथी सुशोजित), पृथ्वीमा प्रथम हर्षने उत्पन्न करनार (कुमुदोने प्रफुटित करनार ), नक्षत्रमाला (एक जातना श्रलंकार) ने धारण करनार ( नक्षत्रना समूहे करीने युक्त), पुरुषोनी बहोतेर कलानो जाण (कलावा
संवृत्तशाली कुमुदाद्यकर्ता, नदत्रमालाकलितः कैलावान् ॥ सदा जनश्रेणिहितः सुतेजाः, श्रीश्रेणिकस्तत्र बैनूव राजा॥२६॥ "विराजते यस्य केपाणपहिकांतःस्थिता पुष्करराजि रुच्चैः॥
पैराजितानां समरे नृपाणां, प्रशस्तिवर्णावलिरॉहितेव ॥॥ लो), निरंतर मनुष्योनो हितकारी अने श्रेष्ठ तेजवालो (चं समान) श्रेणिक राजा : राज्य करतो हतो. ॥ २६ ॥ हवे त्रण काव्ये करीने श्रेणिक राजानुं वर्णन करे ले. जे | श्रेणिक राजानी तरवारना मध्यनागने विषे वर्तती एवी कमलोनी पंक्ति, जाणे युद्धमा पराजय पामेला राजाए स्थापन करेली स्तुतिना अकरोनी पंक्ति ज होयनी ! एम
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