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तमारा चरण कमलना युगखने हुँ म्हारा मस्तक उपर धारण करूं . ॥२०॥ हे प्रनो ! जे कलंक सहित पुरुषो, पोताना कपालना तिलकने विषे तमारा चरणनी रजे करीने धारण कस्यां के चिन्ह जेमणे एवा . मन संबंधी वेदनाए करीने रहित एवा | ते पुरुषोने धारण करेला तमारा चरणनी रजना चिन्हथी जाणे शंका पाम्यो होयनी!
ये तैवाघ्रिरजसा जनितांका, नालपट्टतिलके विकलंकाः॥ स्वीकरोति नैं वो पि नरांस्तानकशंकित श्वाँधिनिरस्तान् ॥१॥ यढिनेपदपंकजमूले, लोलुगीति सततं शिवकूले॥
उत्तमांगमैरथार्थमनिंद्यं, तदति विबुधा भुवि 'वंद्यम्॥२२॥ एवो जव(संसार)पण ग्रहण करी शकतो नथी. अर्थात् तमारा चरणनी रजना चिन्हने । धारण करनारा पुरुषोने फरीथी संसार प्राप्त थतो नथी.॥२१॥पृथ्वीने विषे जे मनुष्य
मस्तक,मोदना तटरूप जिनेश्वरना चरण कमलना मूलने विषे निरंतर बालोटे बे, ते Malपुरुषनामस्तकने देवता सत्यार्थ रूप (उत्तम अंग),अनिंद्य अने वंदना करवायोग्य कहे
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