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/तयणु तस्स पिट्ठीए । मिलिओ य तक्खणेणं तम्मि नगे गरुयवेगेणं ॥१२३॥ ते जुझंता गाढं तत्थ ठिया दोवि पंचदिय
हाई । तो कुमरेणं कह कहवि निजिओ खेयरो नट्ठो ॥१२४॥ कुमरो वि तस्स पिट्ठीइ धाविओ जा खणंतरं इकं । ता पिच्छइ * वेयड्ढे सुरम्ननयरीइ तं भवणं ॥१२५॥ एसो सो मह ताओ एयं भवणं इमा य सा जणणी। चिंतइ हा दुद्रुकयंताएजं 8/पहरियं तिबं? ॥१२६॥ एएण अहं बालत्तणाउ वच्छल्लयाइ बहुमाणं । पुत्तुब पालिओ लालिओ य सुकलाउ सिक्खविओ
॥१२७॥ ता सबहा वि एसोताओ पुज्जो गुरुब मज्झ सया। एस रणे विजिओ कलंकिओ तं मए अप्पा॥१२८॥ एवं जाव कुमारो चिंतइ गुरुसोयसायरनिमग्गो।ता विजाहरपहुणा भणिओ सोयं परिच्चयह ॥१२९॥ पहुकजे पहरिजइ जणयस्स वि 5 एस खत्तियाऽऽयारो।किंच न नायं तुमए जह एसो मज्झ सो ताओ॥१३०॥ अण्णं च तुह पसायणकए मए आगएण तुह है। पिटुिं। तत्थेसा सीलवई दिट्ठा रइरंभसमरूवा ॥१३१॥ ता तीए अणुरत्तेण तुज्झ रूवेण सा मए हरिया। तहवितएऽहं विजिओ
पुहईए इक्कवीरेण ॥१३२॥ अण्णं च तुज्झ सीलं कहियं सब पि मह परियणेणं । जह एसा तुह जणणी कुविया तुज्झोवरि सकामा ॥१३३॥ तो खलु इट्ठवियोगो अणिट्ठसंसग्गिआवईओ य । अत्यन्भंसो मरणं पि होइ महिलाकुसंगेण ॥१३४॥ ___ अवि य-जाइकुलविणयसुयसीलचरणसम्मत्तवित्तदेहाई । महिलाआसत्तमणो हारेइ नरो खणद्धेणं ॥१३५॥ भरिया वि सिणेहेणं सकजलज्जासिणेहखयकारी । दीवसिहव सकलुसा मलिणकरी चयह खलु महिला ॥१३६॥ जलसंगया दुरंता
दोपक्खखयंकरी दुरायारा । सरियव विसमपहनीयगामिणी महिलिया चयह ॥१३७॥ पयपूरिया वि सविसा चरणविहीणा है वि गूढपयचारा । कुडिलगई दुस्सीला दुजीहसप्पित्व चय महिला ॥१३८॥ इय साहिउं सरूवं इत्थीणं अमियतेयनरव
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