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सुदंसणा- चरियम्मि
॥२२॥
पत्तेयवणे, चउदसलक्खेसुऽणंतकायवणे । दुसु दुसु लक्खेसु पुढो, बितिचउरिंदीसु जोणीणं ॥३४॥ सुरनरयतिरियवासे, णिवचंदगुपत्तेयं चऊसु चऊसु लक्खेसु । ईसाविसायवहबंधपमुहदुक्खाई विसहेइ ॥३५॥ मणुयत्तणमि चउदसलक्खेसु सकम्म.13त्तपडिबोनियलिओ जीवो। परिभमइ सरणरहिओ जम्मणमरणेहिं अकंतो ॥३६॥ इय एवमाइदूसहचउरासीजोणिलक्खदुक्खाईलहअनामो विसहंतो भमइ जिओ, सुइरं संसारकंतारे ॥३७॥ एवं सामण्णेणं, सहति जीवा अणंतदुक्खाई। इक्को वि जिओ जं छट्टद्देसो। पुण सहेइ तं संपयं सुणसु ॥३८॥ | तंजहा-मणवयणकायदुट्ठो, परिग्गहं कुणइ हणइ बहुजीवे । वसणासत्तो लोही निस्सीलो वच्चए नरयं ॥३९॥ सढचित्तो गूढमणो, समग्गपणासणो ससल्लो य । न गणइ परलोयहियं वच्चइ तिरिएमु माइल्लो ॥४०॥ दुट्ठकसाओ कूरो मायाकवडेहिं जो परं मुसइ । पुरिसो वि होइ महिला, दोहग्गकलंकिया दुहिया ॥४१॥ धम्मपरा रिउभावा, गुरुभत्ता सीलगुणसमाउत्ता । महिला वि होइ पुरिसो सोहग्गसुरूवगुणकलिओ॥४२॥ हयकरहवसहपसवाण कुणइ निलंछणं अहम्मो जो। परभवइ परं वेसो, नपुंसओ होइ दुट्ठमई ॥४३॥ अक्खुद्दो दाणरओ न कुणइ कोहं न भासए अलियं । मज्झ-12 त्थमणो बंधइ मणुयत्तं सबजीवहिओ॥४४॥ दुक्करतवनियमसुसंजमेहिं दुद्धरमहत्वएहिं च । उवसमगुणेहिं जुत्तो, देवत्तं पावए जीवो ॥४५॥ खवियकसायचउक्को, परिसोसियपुण्णपावपन्भारो। उप्पण्णविमलनाणो, सिद्धिसुहं सासयं लहइ ॥४६॥ इय संखेवेण मए तुह कहियं पुण्णपावफलमेयं । इण्डिं जह तत्थ तए पत्तं दुक्खं तह सुणेहि ॥४७॥
द्वेष्यः ।
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