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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुदंसणा- तघणधूमधूसरदियंत । अमिलाणमल्लदामं, अणेगतालायराणुगयं ॥९६॥ सुविरइयफारसिंगारसारसंभारअविहववहूहिं । जम्मणपर्वचरियम्मि वद्धाविज्जइ राया, करयलकलियक्खवत्ताहिं ॥९७॥ घोसावेइ अमारिं, राया दुहियाण देइ दवाई। सक्कारइ सुयणजणं, धसंबद्धो सम्माणइ नयरलोयं च ॥९८॥ वजंततूरमंगलरवेण णच्चंततरुणिसत्थेणं । एवं दसदिवसाई, वद्धावणयं कयं रण्णा ॥९९॥ बीओ देवीइ तओ सम्माणिऊण गुरुगउरवेण सा सुमई । भणिया एसा वाला, वड्डउ लहु तुह पसाएणं ॥१०॥ एगम्मि|8| उद्देसो। गए मासे, सुमुहुत्ते सुंदरीइ पियरेहिं । बालाइ तीइ विहियं, हरिसेण सुदंसणानाम ॥१०१॥ दियहे दियहे लायण्ण४/ कतिपूरिजमाणगत्तेहिं । नवनवकलाहि बहुइ, सियपक्खे चंदलेहव ॥१०२॥ चंदेण जहा रयणी, सरोवरं सुरहिसेयकम-10 लेहिं । सोहइ तह सा जणणी, उच्छंगगयाए बालाए ॥१०३॥ कुमुयाण ससी कमलाण दिणयरो सिहिकुलाण जह मेहो। Pउल्लासं जणइ तहा, सुदंसणा बंधुवग्गस्स ॥१०४॥ एवं सुहेण जा जंति तीइ वरिसाई पंच अहियाई। ता सोहणम्मि दिवसे, निवेण भणिओ उवज्झाओ ॥१०५॥ पुण्णब्भहिया एसा, धूआ अइवल्लहा तओ सम्मं । लिविगणियप्पमुहाओ, कलाउ ६ सयलाओ सिक्खवह ॥१०६॥ आमंति तेण वुत्ते, वजंते गहिरसहतूरगणे । गिजंतमहुरगेए, नच्चंतविलासिणीसत्थे टू M१०७॥ दिजंतमहादाणे, मागहगणघुट्ठजयजयारावे । कयकोउयमंगल्ला, मंगलरवभरियभुवणयला ॥१०८॥ सिबियारूढा ४ सहिसयणविंदसहिया महाविभूईए । बाला सुदंसणा सा, पत्ता उवज्झायसालाए ॥१०९॥ इय बुहजणसवणसुहासमाइ जम्मणपबंधसंबद्धो । भणिओ सुदंसणाए कहाइ उद्देसओ बीओ॥११०॥ [इइ बीओ उद्देसो] १ अविहवा० सधवा । २ सुंदरी। ३ प्रत्यन्तरेषु 'बइ' इति दृश्यते। For Private and Personal Use Only
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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