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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सुदंसणारियम्मि ॥ ११४ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुसुमेहिं ॥५२॥ रतुप्पल कमलेहिं कुमुएहिं दीवएहि पवरेहिं । रायसुया तिक्कालं पूयइ सिरिसृप्रयजिणिदं ॥ ५३ ॥ इय अच्चियआहरिओ सोहइ मुणिसुवओ जिणवरिंदो । सुरधणुबलायतडिलयसमण्णिओ संझमेहुब ॥२४॥ उज्झताऽगुरुकप्पूरबहलधूमच्छलेण जिणपुरओ । रायसुयाए नज्जइ दज्झतो पावपुंजु ॥५५॥ कंसालतिलिमकाहलमउंदझहरिहुडुक्कवरवंसा | भंभामड्डयमद्दलपणवमहासंखसंखायं ॥ ५६ ॥ इय नंदीतूरभरो निरंतरं जिणहरम्मि वज्जतो । णच्चइ रायसुयाए | जसपडहो एस जयपयडो || ५७॥ निज्जियरइरूवाओ चउसट्ठिमहिलिया गुणजुयाओ । अट्ठविहभरंहभावियन व विहरसपुलइयंगाओ ॥ ५८ ॥ धणकणयसमिद्धाओ बहुयाउ विलासिणीउ जिणभवणे । पिच्छणयकारिणीओ ठवियाओ सपरिवाराओ ॥५९॥ भंडारिय-पंचं उलिय- वइँगरणिय-लेक्खगाइया सचिवा । मइमंतभत्तिमंता विणिउत्ता गुडिया तह य ॥ ६० ॥ तंबोलियमालियहदृभवणउज्जाणवाविकयसोहं । पासेसु जणसमिद्धं निवेसियं वरपुरं रम्मं ॥ ६१ ॥ दुहियाण दुत्थियाणं पडिपुण्णा | सयलभक्ख भोजेहिं । करुणाइ दाणसाला कराविया रायधूयाए ||६२ || साहम्मियाण जुग्गा सुदाणसालाविसालवरसाला । पोसहसाला तीए कारविया धम्मगयसाला ॥६३॥ एगारसंगचउदसपुबधराईण समणसीहाणं । भत्तीइ देइ दाणं रायसुया फासुएसणियं ॥ ६४ ॥ अंगोवंगपणगपमुहस्स सुयस्स तिजयसारस्स । सुपसत्थपुत्थयाई लिहावए परमभत्तीए | ॥ ६५ ॥ इय उल्लसियविवेया सुदंसणा इत्थ सत्तखित्तीए । णायपवित्तं वित्तं निरंतरं ववइ भत्तीए ॥ ६६ ॥ असोयवउल १ भर० नृत्य । २ पञ्चकुलिक पंचायत में बैठकर विचारकरनेवाला । ३ वैकरणिक-राज-कर्मचारिविशेष । For Private and Personal Use Only |सवलियाविहारव - ण्णणो ना म दुवाल - समुद्देसो । ॥ ११४ ॥
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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