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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit चरियम्मि सुदंसणा॥८१॥ ८॥११५॥ इय गुरुवयणं सोउं भणियं तीए पहिट्ठचित्ताए । धम्मस्स जस्स जुग्गा अहयं कहयंतु तं पुज्जा ॥११६॥ तो गुरुणा रयणत्तय| वागरिया जहाविहिं तीइडणुबया पंच । अह सा ताई पवज्जइ सम्मं सम्मत्तमूलाई ॥११७॥ लोएण समं बंदिय गुरुणो स्सरुवप्प एसा गया सठाणम्मि । पालइ निययवयाई विसयपिवासं विमुत्तूणं ॥११८॥ तह तिबं तवइ तवं चउत्थछट्ठट्ठमाइणेगविहंद्ररूवगनाम दापढइ सुर्य बहुभत्तिं च कुणइ सुयणाणवुड्डाणं ॥११९॥ संतोसपरा एवं चिरकालं पालिऊण गिहिधम्मं । पजते पडिवण्णा दसमुद्देसो। | समाहिणा अणसणं एसा ॥१२०॥ ___ अह उसहणाहजीवो पुषि पंचमभवम्मि ईसाणे । ललियंगसुरो तइया सयंपहा से चुया देवी ॥१२॥ सोयपरं |तं जपइ पुषसयंबुद्धमंतिमित्तसुरो । दंससु रिद्धिं निण्णामियाइ सा तुह पिया होही ॥१२२॥ एवं च तेण विहिए मरिउंट | निण्णामिया समाहीए । ललियंगस्स य जाया णामेण सयंपभा देवी ॥१२३॥ भुत्तूण तत्थ भोए कालेण चुयाई ताई दो वि कमा। इह पुषविदेहेसु पुरीइ पुंडरगिणीए उ ॥१२४॥ होऊण वयरजंघो राया देवी य सिरिमई तत्तो । उत्तरकुरु| मिहुणओ तत्तो सोहम्मे सुरा दो वि॥१२५॥ तो पुषविदेहेसु पभंकराए पुरीइऽभयघोसो। विज्जो मित्तं इयरो अण्णे चउरो, य से जाया ॥१२६॥ ते साहुचिगिच्छाए इंदसमा छप्पि अच्चुए जाया । तत्तो चवित्तु ते इह पुरीइ पुंडरगिणीए उ ॥१२७॥5 | सिरिवइरसेणपहुणो पंच सुया वजनाहपमुहाओ । चक्किस्स बजणाभस्स सारही छट्ठओ जाओ ॥१२८॥ पहुपासे पवइया | 3 ॥८१॥ |सबे सुयकेवली तहिं जाओ । सिरिवजनाहसूरी सेसा इकारसंगधरा ॥१२९॥ सो पुण सारहिसाहू जहविरियमहिज्जियं| सुयं तेण । निसुयं च तहिं तइया पहुणा इयवागरिजंतं ॥१३०॥ जह एस वइरनाहो इह भरहे होहिइ जिणो पढमो। For Private and Personal Use Only
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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