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नगराया चेव सागरअखोभे चंदे सूरे कणगे वसुंधरा चेव सुहुयहुए || ६६ ॥ समए जह निहिडा इच्चाइनिदंसणेहि मुनिवसहा । वच्चंती रायसुया तह ते पिच्छइ महाभागे ॥ ६७॥ ते दहूणं चिंतइ चंदउदहिव उलसंती सा । एएच्चिव सुकयत्था धण्णा तह पुण्णवंता य ॥ ६८ ॥
जओ - विण्णायभवसरूवा निण्णासिय सयलकम्मसंघाया । विसयाऽहिलासपियसुहपरियाणिय दारुणविवागा ॥ ६९॥ उवसमसीयलसलिलप्पवाहविज्झवियकोवजलणा वि । गाढप्परूढभववियडविडविनिद्दहणवणदहणा ॥७०॥ निम्महियकम्मसंताणसोसियाऽसे सनियतणुबला वि । मोहमहपायव उम्मूलणिक्कवरमत्त करिणुव ॥ ७१ ॥ नीसेसजंतुसं ताणपालणे फुरियगुरुयकरुणा वि | दारियदुज्जयकंदष्पमत्त करिवियडकुंभयडा ॥ ७२ ॥ सावज्जजोगपसरं तरुद्ध मणवायकायपसरा वि । निधाणनयपहगमणदच्छ करणत्तएण जुया ॥७३॥ परिचत्तु त्तुंग पयोहराऽलसाऽसे सजुवइसंगा वि । निम्मलत लच्छिवरंगणाइ आलिंगिया गाढं ॥ ७४॥|| पगमंताऽमरगंधबजक्खसिरमउडघट्टचलणा वि । दुविहे वि सबजीवे अप्पसमे तह वि मण्णंति ॥ ७५ ॥ निज्जियमयणा वि पसिद्ध सिद्धिवहुसंगसुक्ख त लिच्छा । परिचत्त सबसंगा वि सुदढसंगहियचरणधणा ॥७६॥ जाइकुलरूवबलसुयतवलाभिस्सरियनाणवंता वि । अट्ठमयमत्तवारणमयवारणहरिकिसोरुव ॥७७॥
अण्णं च - गयगंडयनउलफणिंदमूसमज्जारहरिमया सुइया । उवसंतवेरभावा जेसिं पासेसु निवसति ॥ ७८ ॥ एयारिसा तबस्सी समतिणमणिलिङ्कुकंचणा मुणिणो । समसुहदुहभवमुक्खा रायसुआ वंदए मणसा ॥ ७९ ॥ पुरओ वञ्चंतीए देवसमूहेहि देवराउब | चंदौ व तारएहिं चक्की व नरिंदर्विदेहिं ॥ ८० ॥ परियरिया मुनिवसहेहि सूरिणो नाणभाणुनामाणो ।
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