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सुदंसणा- यंती व निविडमिच्छत्तं । दंसंती व सुमग्गं जियाण उम्मन्गलग्गाणं ॥४९॥ तह धम्माभिमुहाणं निदंसयंती व धम्ममाहप्पं ।
गुरुदंसचरियम्मि 8 इय सा गंतुं लग्गा पुवुद्दिष्टुं तमुजाणं ॥५०॥जा वच्चइ थोवपहं सपरियणा सह निवेण सा बाला । ता नम्मयाइ तीरे पिच्छइ5 णपरूवग॥७६॥
कोरिंदमुजाणं ॥५१॥ तत्थ वहुसउणवासो निहियजडत्तो सुपत्तपरिवारो। गहिरो बहलच्छाओ सुट्ट थिरो उत्तमपहुव ॥५२॥ नाम नवपुवभवकयनिवासो पभूयपहखिण्णपहियकयतोसो । रुद्धरविकिरणपसरो वालाए सो वडो दिट्ठो ॥५३॥ दट्टण बडं चिंता मुद्देसो।
सचं एसो दुरंतसंसारो । कम्मकयचित्तरूवा भमंति संसारिणो जत्थ ॥५४॥ एवं सा चिंतंती जा वच्चइ समवसरणभूमीए। दाता पिच्छइ सट्ठाणं जत्थ पुरा पावियं मरणं ॥५५॥ एवं संवेगपरा सुदंसणा मुनिजणोचियपएसे । समवसरिया साहू अह
पिक्खइ लद्धसुहलक्खा ॥५६॥ के वि हु वीरासणिया पउमासणिया निसिज्जआसणिया । गोदोहियउक्कडिया दंडासणिणो मुनी के वि ॥५७॥ के वि हु एकपयठिया उद्धभुया के वि के वि रविदंसी । के वि हु उत्ताणसया के विठिया उद्धचरणेहिं ॥५८॥ इच्चाइआसणेहिं चउरासीईहि विहियउस्सग्गा । आयावणभूमीए आयावंता समगसीहा ॥५९॥ एगे चउत्थछट्टट्ठम
दसमदुवालसद्धमासेहिं । खमणेहि खवंति तणुं सुदुद्रुकम्मट्टगंठिं व ॥६०॥ अवरे आयंविलिया संखादत्ती य विगयवज्जी द्रय । अप्पेगसित्थभोई उज्झियधम्माइया अन्ने ॥६॥ के वि सुयं वायंता संसयठाणाइ के वि पुच्छंता । के वि हु परियहता
अणुपेहंता पुणो के वि ॥६२॥ जियकोहा जियमाणा जियलोहा जियपरीसहा धीरा । जियनिद्दा जियमाया जिइंदिया है सावि जियमोहबला ॥६॥ एगअसंजमरहिया दुविहेहि बंधणेहिं परिमुका । इच्चाइजावतित्तीसठाणजुत्ता जहाजुग्गं ॥६॥
किंच-कंसे संखे जीवे गयणे वाऊ य सारए सलिले । पुक्खरपत्ते कुम्मे विहगे खग्गे य भारुडे ॥६५॥ कुंजरवसहे सीहे
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