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रिणो । सिवसुहफलवरतरुणो लभंति कहं पि सुहगुरुणो ॥१२५६॥ इय भावणापहाणो पइदियहं वड्डमाणसंवेगो गिहिधम्म सुविसुद्धं नरविकमनरवई कुणइ ॥१२५७।। इत्तो य नईतीरे तेसिं दुहं पि रायपुत्ताणं पुण्णेहि नरो एगो कत्तो वि समागओ तत्थ ॥१२५८॥ ते दटुं संभंतो चिंतइ नणु रायनंदणा एए। नलकूबरव रूवेण सयलनिवलक्खणसमेया ॥१२५९॥ इय चिंतिऊण तेणं सप्पणयं गोउलम्मि ते नेउं । गोउलियमयहरस्स उ समप्पिया कहिय वुत्तंतं॥१२६०॥ तेण विय अपुत्ताए। ते दिण्णा नियपियाइ तुडेणं । सा वि हु पालइ अंगुब्भवब परमण्णपाणेहिं ॥१२६१।। अण्णदिणे सो गोउलसामी नरविक्कम निवं दह्र । जयवद्धणम्मि नयरे केण वि कज्जेण संचलिओ ॥१२६२॥ तेण य सद्धिं ते दोवि नंदणा नयरदसणनिमित्तं ।
चलिया रायसमीवे पत्ता सो पणमिओ तेहिं ॥१२६३॥ जा नियइ निवो ते दोवि दारए अणिमिसाइ दिट्ठीए । ता नायं जह | एए मज्झ सुया कहइ मह हिययं ॥१२६४॥ पुढेण मयहरेणं वुत्तंते साहिए जहाऽवगए । तो नेहवसा दुण्णि वि उच्छंगे ठाविया पुत्ता ॥१२६५॥ किमवि परुणो य निवो गलंतनयणंसुधोवियकवोलो। भणइ सुया मह एए मिलिया सुगुरुप्पसाएण ॥१२६६॥ बीयम्मि दिणे गुरुणो कहिओ सबो वि पुत्तवुत्तंतो।भणइ गुरू भो ! कित्तियमित्तं धम्मस्स फलमेयं ॥१२६७॥ अज्जवि होहिइ तुह पिययमाइ जोगो वि थोवदियएहिं । अहरीकयकप्पडुममाहप्पो जेण जिणधम्मो ॥१२६८॥ हरइ दुहं कुणइ सुहं जणइ समाहिं समीहियं देइ । अवणेइ आवयाओ जिणधम्मो कामघेणुध ॥१२६९॥ एवं राया संजायपच्चओ कुणइ तिवसंवेगो । सावगधम्म सम्मं सवत्थ वि भावणारम्मं ॥१२७०॥ सा पुण सीलमई देहिलेण जलहिम्मि दढमणजेण ।।
1 मयहर० स्वामी। २ प्ररुदितः।
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