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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SUSANGSAUSOSAS नरचंदो चंदो इव जणियजणमणाणंदो । तस्स पिया चंदजसा चंदुजलसीलजसकलिया ॥७२५॥ तीए य अत्थि एगो हरायसुओ नियसुउब पाणपिओ । नामेण वयणसारो वयणविहिविसारओ मइमं ॥७२६॥ देवी परितुट्ठमणा पइदियह खाणपाणदाणेणं । पालावइ जत्तेणं मणिकंचणपंजरस्संतो ॥७२७॥ नवनवकवकहाओ सिक्खवइ सयं पढंतयं च तयं । सोऊणं हरिसिज्जइ खणं पि न रमइ विणा तेण ॥७२८॥ अण्णदिणे पुरबाहिं उज्जाणे देवरमणनामम्मि । सीसगणसंपरिवुडो समोसढो सुव्वयाऽऽयरिओ॥७२९॥ तण्णमणत्थं पत्तो नरचंदनिवो पियाइ संजुत्तो। वंदिय गुरुं निसण्णो सपरियणो सुणइदि इय धम्मं ॥७३०॥ धम्मो सबसुहाणं मूलं पावं तु सबदुक्खाणं । ता जइ दुहभीरसुहेसिणो य भवा! कुणह धम्मं ॥७३॥ तं पुण धम्मरहस्सं निसुणह एगेण सारवयणेणं । अप्पडि कूलं कम्मं परेसि न कयाइ कायचं ॥७३२॥ इय परमत्थं सो चंदजसाए समण्णिओ राया । बारसवयाइ गिण्हइ सम्म सम्मत्तमूलाई ॥७३॥वंदित्त गुरुं पत्तो सपरियणो नियगिहम्मि नरनाहो । पालइ गिहत्थधम्म गुरू वि अण्णत्थ विहरेइ ॥७३४॥ अट्ठमीचउद्दसीसु कीरेण समं सुहासणनिसण्णा । चेइयहरम्मि गंतुं चंदजसा पूअए देवं ॥७३५॥ भत्तिबहुमाणसारं जहाविहं चेइयाई बंदित्ता । नवनवथुइथुत्ताई भणावए| वयणसारेणं ॥७३६॥ अह अण्णदिणे केण वि कजेण न चेइए गया देवी। तो उस्सुओ सुओ सो कहमवि जिणमंदिरे पत्तो ॥७३७॥ पत्तेयं जिणदिवे वंदिय थोऊण परमभत्तीए । देवी पासे पत्तो तं दहूं तीइ कुवियाए ॥७३८॥ पाविट्ठ! दुट्ठचिट्ठिय! कयग्ध! सच्छंदचारि! निल्लज्ज! । इय जंपिरीइ सहसत्ति मोडियं तस्स पक्खदुगं ॥७३९॥ पच्छायावपराए पच्छा तीए दुगुं समन्वितः । SANSARAKANKAROGACANCERACK For Private and Personal Use Only
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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