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सुदसणा
ममं ति तो जंपए एसो॥४०८॥ एवं जणाऽववाओ, तो तं आहूय निवसमीवाओ । अब्भत्थिय मह जणयं, कारावसु नियय-है। [विजयकुचरियम्मि8 वीवाहं ॥४०९॥ एवं च तेहिं विहिए परिणीया ऽणंगसुंदरी तेण । रण्णा वि दिण्णमेयस्स पवरपासायमाईयं ॥४१०॥ मारसरूव
पुषभवचरियसुचरियगुरुपसरुल्लसिरगरुयरिद्धिभरो । सो तत्थ तीइ सद्धिं, जइ भोए सुरवरुष ॥४१॥ तस्स य संसग्गेणं, प्परूवग॥४३॥18
सा जाया साविया निवइधूया । न परमिह संतसंगो, सुहओ नूणं परभवे वि ॥४१२॥ अह तीए पडिलिहिउं जिणपडिमा नाम अट्ठदरिसिया तहा संघो । जाणाविअंच तेणं, जिणमुणिवंदणपमुहकिच्चं ॥४१३॥ सा अण्णदिणे तेणं, पीइपरिक्खाकए इमं मुद्देसो। भणिया। गंतुं पिऊण मिलिउं, एमि अहं चिट्ठ तुममिहई ॥४१४॥ ती उत्तमिमं सोउं पिई सरिजइ? हवेमि तुह सरिसी?।
तो तेणुत्तं मा कुव पिए! तुम सह नइस्सामि ॥४१५॥ तो आपुच्छिय निवई, पोयगओ तीइ संजुओ चलिओ । जलहिम्मि ६ इमो अह पबलवाउणा पवहणं भग्गं ॥४१६॥ पत्तं च तीइ फलयं, तेण विलग्गा समुद्दमुत्तरि । एगम्मि आसमपए, पत्ता है कुलवइसमीवमिमा ॥४१७॥ अह तत्थ ठाविरं कइवि वासरे तेण पेसिया सद्धिं । एगेण तावसेणं नयरे इह पउमिणीसंडे |॥४१८॥ सुब्वयगणिणिं एसा, सरीरचिंतागयं बहिं दहुँ । पडिलिहियदिट्ठसमणीउ सुमरिउं हरिसिया जाया ॥४१९॥ पुत्र
भासेण तयं वंदिय सह तीइ आगया वसहिं । सा तत्थ तुह सुयाए, दिट्ठा पियदसणाइ तया ॥४२०॥ पुट्ठाइ सुव्वयाए वुत्तंतो तीइ साहिओ नियओ। पियदंसणाइ पुट्ठा, केरिसवण्णो तुह स भत्ता? ॥४२१॥ सा भणइ सामवण्णो, तो सा पियदसणा भणइ भइणि!। संवयइ सबमण्णं, कणयप्पहो मह पई किंतु ॥४२२॥ धम्मभइणीओ ताओ सुहेण चिट्ठति *
॥४३॥ टू दोवि तुह गेहे।धम्माणुट्ठाणपरा सेवंतीओ सया गुरुणिं ॥४२३॥ अह सोवि वीरभद्दो भग्गे वहणम्मि कयसहजरूवो। दिट्ठो 8
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