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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शैलपाल अने शंखपाल ए चार लोकपाल छे ३, एम भूतानेन्द्रना कालपाल, कोलपाल, शंखपाल अने शैलपाल ए चार लोकपाल छे ४, वेणुदेव इंद्रना चित्र, विचित्र, चित्रपक्ष अने विचित्रपक्ष ए चार लोकपाल छे ५, वेणुद्दालि इंद्रना चित्र, विचित्र, विचित्रपक्ष अने चित्रपक्ष ए चार लोकपाल छे. ६, (१) हरिकान्त इंद्रना प्रभ, सुप्रभ, प्रभकांत अने सुप्रभकांत ए चार लोकपाल छे ७, हरिस्सह इंद्रना प्रभ, सुप्रभ, सुप्रभकांत अने प्रभकांत ८, अग्निशिख इंद्रना तेजः, तेजः शिख, तेजस्कांत अने तेजश्रम ९, अग्निमानव इंद्रना तेजः, तेजश्शिखर, तेजप्रभ अने तेजस्कांत १०, पूर्ण इंद्रना रूप, रूपांश, रूपकांत अने रूपप्रभ ११, विशिष्ट इंद्रना रूप, रूपांश, रूपप्रभ अने रूपकांत १२, जलकांत इंद्रना जल, जलरत, जलकांत अने जलप्रभ १३, जलनभ इंद्रना जल, जलरत, जलप्रभ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कांत १४, नामत्राळा लोकपालो छे. (२) अमितगति इंद्रना त्वरितगति, क्षिप्रगति, सिंहगति अने सिंहविक्रमगति १५, अमितवाहन इंद्रना त्वरितगति, क्षिप्रगति, सिंहविक्रमगति अने सिंहगति १६, वेलंब इंद्रना काल, महाकाल, अंजन अने रिष्ट १७, प्रभंजन इंद्रनाकाल, महाकाल, रिष्ट अने अंजन १८, घोष इंद्रना आवर्त्त, न्यावर्त्त, नंदिकावर्त्त अने महानंदिकावर्त्त १९, महाघोष इंद्रना आवर्त्त न्यावर्त्त, महानंदिकावर्त्त अने नंदिकावर्च २०, आ नामवाळा लोकपालो छे. असुरकुमार निकायमां दक्षिण दिशानो स्वामी चमरेंद्र अने उत्तर दिशानो बलींद्र छे. आ प्रमाणे दरेक निकायना क्रमशः दक्षिण अने उत्तर दिशाना इंद्रो मली वीश इंद्रो छे. ( व्यंतर अने ज्योतिष्कना इंद्रोने लोकपालो नथी.) शक्रेंद्रना सोम, यम, वरुण अने वैश्रमण ४. ईशानेंद्रना सोम, यम, वैश्रमण अने वरुण-आ नामवाळा लोकपालो कहेल छे. एवी रीते एक एकने अंतरे नामो यावत् अच्युतेंद्र पर्यंत कहेवा. अर्थात् सनत्कुमार, ब्रह्मलोक, महाशुक्र अने प्राणत इंद्रना लोकपालना नामी सौधर्मेंद्र ( शक्र )ना लोकालोनी जैम अने ६२ For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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