________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
cxxxxXXXXXXXXXXXXXXxxxxxxxxxxx)
१ आत्मप्रतिष्ठित पदवडे उपलक्षित ( जणातुं) सूत्र, २ क्षेत्रने आश्रयी सूत्र, ३ अनंतानुबंधी पदवड़े उपलक्षित सूत्र अने ४ आभोगपदवडे उपलक्षित सूत्र, त्यारवाद चयन, उपचयन, बंधन, उदीरण, वेदन अने निर्जरा अर्थात् चयनादि विषयवाळा सूत्रो छे. (सू० २५०).
हमणा निर्जरा कही ते विशिष्ट निर्जरा प्रतिमादि अनुष्ठानथी थाय छे, माटे प्रतिमाना त्रण सूत्रो कहेल छे. ते वीजा स्थानक(ठाणा)मां वर्णवाई गया छे तो पण अहिं कहेवाय छे केमके चार स्थानकना अनुरोधथी तेनुं वर्णन करवू जोईए. एनी व्याख्या पूर्वनी माफक जाणवी परंतु स्मरणना वास्ते किंचिन कहेवाय छे. समाधि एटले श्रुत अने चारित्ररूप, तेना विषयवाळी प्रतिमाप्रतिज्ञा अर्थात् अभिग्रह ते समाधिप्रतिमा, अथवा द्रव्यसमाधि प्रसिद्ध छे, तेना विषयवाळी प्रतिमा-अभिग्रह ते समाधिप्रतिमा. एवीरीते बीजी प्रतिमाओना संबंधमां पण जाणवू.विशेष एके-उपधान एटले तप अने विवेक-अशुद्ध अने अतिरिक्त ( वधारे) भक्तपान, वस्त्र, शरीर अने शरीरना मल विगेरेनो त्याग. 'विउस्सग्गेत्ति० कायोत्सर्ग. भद्राप्रतिमा एटले पूर्वादि चार दिशानी सन्मुख रहेल साधुने प्रत्येक दिशामां चार प्रहर पर्यंत कायोत्सर्ग करवारूप, वे अहोरात्रिवडे आ प्रतिमानी समाप्ति थाय छे. सुभद्रा प्रतिमा पण ए प्रमाणे ज संभवे छे, कारण के कोई ग्रंथमा तेनुं स्वरूप जोयेल न होवाथी लख्घु नथी. एवी रीते दरेक दिशामा अहोरात्र प्रमाणे कायोत्सर्ग करवारूप महाभद्राप्रतिमा चार अहोरात्रवडे समाप्त थाय छे. अने जे देश दिशाओमा प्रत्येक दिशाए अहोरात्र प्रमाण कायोत्सर्ग करवारूप छे ते सर्वतोभद्रा प्रतिमा दश अहोरात्रवडे समाप्त थाय छे. मोक प्रतिमा एटले प्रश्रवण (लघुनीति) संबंधी प्रतिज्ञा, जे सोळ भक्त( सात उपवास )वडे समाप्त थाय छ, ते क्षुल्लिका
awoxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
For Private and Personal Use Only