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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ते आ प्रमाणे-१ कोईक कलश पूर्ण-संपूर्ण अवयववाळो अने वळी पूर्ण-मध विगेरेथी भरेल छ,२ कोईक कलश संपूर्ण अवयववाळो छे पण तुच्छ-खाली छ, ३ कोईक कलश अपूर्ण अवयववाळो छ पण पूर्ण-मध विगेरेथी भरेल छे अने ४ कोईक कलश अपूर्ण अवयववाळो अने खाली छे. (१) आ दृष्टांत चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष जात्यादि गुणवडे पूर्ण अने बळी ज्ञानादि गुणवडे पूर्ण छ, २ कोईक जात्यादि गुणवडे पूर्ण छे पण ज्ञानादि गुणथी हीन छ, ३ कोईक जात्यादि गुणथी हीन पण ज्ञानादि गुणवडे पूर्ण छ अने ४ कोईक जात्यादिवडे हीन अने ज्ञानादि गुणधी पण हीन छे. (२) चार प्रकारना कलशो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक कलश संपूर्ण अवयववाळो छे अने जोनारने संपूर्ण जेवो देखाय छ, २ कोईक संपूर्ण अवयववाळो छ पण जोनारने तुच्छ जेवो देखाय छे, ३ कोईक तुच्छ छे पण संपूर्ण जेबो देखाय छे अने ४ कोईक तुच्छ छे अने तुच्छ जेवो देखाय छे. (३) आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष धन विगेरेथी पूर्ण छ अने तेनो उपयोग करवाथी पूर्ण जेवो देखाय छे, २ कोईक धनादिवडे पूर्ण छ पण तेनो उपयोग न करवाथी तुच्छ जेबो देखाय छे, ३ कोईक धनादिथी तुच्छ छे पण तेनो उपयोग करवाथी पूर्ण जेवो देखाय छे अने ४ कोईक तच्छ छे अने तुच्छ जेबो देखाय छे. (४) चार प्रकारना कुंभ कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक कुंभ जळ विगेरथी पूर्ण अने सुंदर रूपवाळो छ, २ कोईक जलादिवडे पूर्ण छे पण तुच्छ रूपवाळो छे, ३ कोईक जलादिवडे तुच्छ(खाली) पण सुंदर रूपवाळो छे अने ४ कोईक जलादिथी तुच्छ अने तुच्छ रूपवाळो छे. (५) आ दृष्टांते चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक पुरुष ज्ञानादिबडे पूर्ण अने पवित्ररूप-रजोहरणादि विशिष्ट वेषवाळो छ, २ कोईक पुरुष ज्ञानादिवडे पूर्ण छे पण तुच्छ XxxxxxxxxxxXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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