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श्रीस्था- योग्य पुरुषना व्यापारविशेषने कहेवाने इच्छता सूत्रकार सूत्रसप्तकने कहे छे
४ स्थान नाङ्गसूत्र
काध्ययने चउविहे संवासे पं० त०-दिव्वे आसुरे रक्खसे माणुस्से ४ (१) चउबिहे संवासे पं0सानुवाद
उद्देशः४ तं०-देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासंगच्छति, देवे नाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति, असुरे । ५२२॥
संवास: णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति, असुरे नाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति ४ (२) चउ. आसुरामिविहे संवासे पं० त०-देवे नाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति, देवे नाममेगे रक्खसीए सद्धिं | योग्याद्या
संवासं गच्छति, रक्खसे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति, रक्खसे णाममेगे रक्खसीए सद्धिं * संवासं गच्छति ४ (३) चउविहे संवासे पं० त०-देवे नाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति,
देवे नाममेगे मणुस्सीहिं सद्धिं संवासं गच्छति, मणुस्से नाममेगे देवीहिं सद्धिं संवासं गच्छति, मणुस्से नाममेगे मणुस्सीइ सद्धिं संवासं गच्छति ४ (४) चउविधे संवासे पं० तं०-असुरे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति, असुरे नाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति ४ (५) चउबिहे संवासे पं० त०-असुरे नाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति, असुरे नाममेगे मणु
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