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दानादि आये छे पण कुपात्रने विषे दानादि आपतो नथी, २ कुपात्रमां आवे छे पण पात्रमां देतो नथी, ३ बनेमां आवे छे अने ४ बन्नेमा आपतो नथी. (१०) चार प्रकारना मेघ कहेला छे, ते आ प्रमाणे- १ कोईक मेघ धान्यना अंकुरादिने उत्पन्न करे छे पण संपूर्ण धान्यने निष्पन्न करतो नथी, २ कोईक मेघ संपूर्ण धान्यने निष्पन्न करे छे पण प्रथमथी धान्यना अंकुरादिने उत्पन्न करतो नथी, ३ कोईक बनेने करे छे अने ४ कोईक बन्नेने करतो नथी. (११) ए दृष्टांते चार प्रकारना मातपिता कहेला छे, ते आ प्रमाणे- १ कोईक मातपिता पुत्रने जन्म आपे छे पण पालन करता नथी, २ कोईक पालन करे छे पण जन्म आपता नथी, ३ कोईक जन्म आपे छे अने पाछे छे अने ४ कोईक जन्म आपता नथी अने पाळता नथी. ( १२ ) चार प्रकारना मेघ कहेला छे, ते आ प्रमाणे- १ कोईक मेघ एक विभाग ( खंड ) मां वरसे छे पण सर्वत्र वरसतो नथी, २ कोईक सर्वत्र बरसे छे पण विभागमां वरसतो नथी, ३ कोईक विभागमां अने सर्वत्र वरसे छे अने ४ कोईक विभागमां के सर्वत्र बरसतो नथी. (१३) ए दृष्टांते चार प्रकारना राजाओ कहेला छे, ते आ प्रमाणे- १ कोईक राजा अमुक क्षेत्रना देश-विभागनो अधिपति छे पण सर्वनो अधिपति नथी- ते पल्लीपति विगेरे, २ कोईक राजा सर्वनो अधिपति छे पण पल्ली विगेरे देश ( विभाग ) नो अधिपति नथी, ३ कोईक उभयनो अधिपति छे ते चक्रवर्ती विगेरे अने ४ कोईक उभयनो अधिपति नथी ते राज्यथी भ्रष्ट थयेल समजवो. (१४ ) ( सू० ३४६ )
टीकार्थ :- सूत्रो सुगम छे. विशेष ए के- मेघाः- वरसादो गर्जारव करे छे पण वृष्टि करता नथी. ( १ ) एम कोईक पुरुष गर्जनारनी जेम गर्जारवने करे छे अर्थात् दान, ज्ञान, व्याख्यान, अनुष्ठान अने शत्रुनो निग्रह विगेरे विषयमां शब्दवडे
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