________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
श्रीस्थानाङ्गसूत्र
सानुवाद ॥ ५१० ।
*****
www.kobatirth.org
दीर्घत्वनी जेम नित्य छे. काळवादीओनो आ विकल्प छे. कहेल अभिलापवडे ज बीजो विकल्प +ईश्वरने कारण मानवावाळा वादीओनो छे. 'पुरुष एवेदं ग्निम् ' आ बधुं य पुरुष ज छे एम स्वीकारनारा आत्मवादीओनो त्रीजो विकल्प छे. नियति, पदार्थाने अवश्यपणे जे जेम थवानुं होय तेमां प्रेरणा करनारी छे. आवो चोथो विकल्प नियतवादीओनो छे. पांचमो विकल्प *स्वभाववादीओनो छे, एवी रीते 'स्वतः ' पदने नहिं छोडवावडे पांच विकल्पो प्राप्त थाय छे तेमज [ स्वतःने बदले ] परतः आ पदवडे पण पांच ज विकल्पो प्राप्त थाय छे. तेमां परतः ए पदनो अर्थ आ प्रमाणे- अहिं बधा पदार्थोनो पररूपनी अपेक्षावाको स्वरूपनो परिच्छेद-ज्ञान छे. जेम हस्वत्वादिनी अपेक्षावाको दीर्घत्वादि परिच्छेद छे. ए प्रमाणे ज आत्मा प्रत्ये स्तंभ अने कुंभादिने जोईने तेनाथी जुदी वस्तुमां ज आत्मबुद्धि प्रवर्त्ते छे. आ हेतुथी जे आत्मानुं स्वरूप छे ते परतः ( बीजाथी ) ज निश्चय कराय छे पण स्वतः नहि. अहिं नित्य पदनो त्याग न करवावडे आ दश विकल्पो छे. एवी रीते अनित्य पदवडे पण दश विकल्पो थाय छे, एम वीश विकल्पो जीव पदार्थवडे प्राप्त थाय छे. बीजा अजीव विगेरे आठ पदाने विषे पण एवी रीते ज दरेक पदमां वीश विकल्पो थाय छे आ कारणथी वीशने नवगुणा करवाथी एक सो एंशी भेदो क्रियावादीओना थाय छे. आ विकल्पो एकेकमां शीलांग ( ना भेद ) नी जेम प्राप्त थता नथी. अक्रियावादीओना तो चोराशी भेदा जाणवा. तेनी स्थापना आ प्रमाणे- पुण्य अने पाप सिवाय शेष जीवादि सात पदार्थनो तेमज उपन्यास करवो.
X काळवादीओ कहे छे के दरेक पदार्थ काळकृत छे. + सर्व पदार्थ ईश्वरकृत छे एम ईश्वरवादीओनुं कथन छे. गोशालकादि नियतवादीओ नियतिने ज कारण माने छे. * स्वभाववादीओ दरेक पदार्थ मयूरपिच्छत् स्वभावयो ज थाय छे एम माने छे.
For Private and Personal Use Only
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
***********
४ स्थान काध्ययने उद्देशः ४ क्रिया
वाद्याः सू० ३४५
। ५१० ॥