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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org परिचारक - सेवा (मावजत करनार (१) (सू० ३४३) चार प्रकारना चिकित्सो-वैद्यो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईक पोतानी चिकित्सा करे छे पण बीजानी चिकित्सा करतो नयी, कोईक बीजानी चिकित्सा करे छे पण पोतानी करतो नथी, कोईक पोतानी अने बीजानी पण चिकित्सा करे छे अने कोईक पोतानी के परनी चिकित्सा करतो नथी. (२) चार प्रकारना पुरुषो कहेल छे, ते आ प्रमाणे - कोईक व्रणकर - पोते रुधिरादि काढवा माटे शरीरमां क्षत करे छे पण व्रणने स्पर्श करतो नथी, कोईक व्रणने स्पर्श करे छे. पण पोते व्रण करतो नथी, कोईक बगने करे छे अने स्पर्श पण करे छे अने कोईक व्रगने करतो नथी तेम स्पर्श पण करतो नथी. (१) चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमागे -१ कोईक बग करे छे पण पाटो न बांधवाथी aणनी रक्षा करतो नवी, २ कोईक बगनी रक्षा करे छे पण व्रण करतो नवी, ३ कोईक वग करे छे अने व्रणनी रक्षा पण करे छे अने ४ कोईक बन्ने करतो नथी. (२) चार प्रकारना पुरुषो कडेला छ, ते आ प्रमाणे १ कोईक वग करे छे पण व्रणने रुझावतो नथी, २ कोईक व्रण रुझावे छे पण व्रण करतो नथी, ३ कोईक बग करे छे अने रुतावे पण छे अने ४ कोईक ब करतो नथी. (३) चार प्रकारना व्रण (घा) के गुम कट्टेल छे, ते आ प्रमाणे- १ कोईक व्रण अंदरमां शल्यवाळ होय हे पण चहार देखातुं नथी, २ कोईक वग बहार शल्य वाळु देखाय छे पण अंदर शल्यालं होतुं नवी, ३ कोईक व अंदर अने बहार शल्यबाळं होय छे अने ४ कोईक अंदर के बहार शल्यबाळं होतुं नयी. (१) आ दृष्टांते चार प्रकार ना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे- कोईक पुरुष अंदर शल्यवाळो छे पण बहार शल्यवाळा नवी, एम व्रगती माफक चतुभंगो करवी. (२) चार प्रकारना व्रणो ( फोडा ) कहेला छे, ते आ प्रमाणे- १ कोईक व्रण ऌतादि दोषथी अंदर दुष्ट के पण ८५ For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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