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प्रथम उदय पामेल अने पाछळथी खास कारण सिवाय क्रोधित ब्राह्मणद्वारा प्रेरणा करायेल गोवाळवडे छोडायेल धनुष्यनी गोळीथी फूटी गयेल आंखनी कीकीवडे अने मरण पछी अप्रतिष्ठान नामना महानरकावास संबंधी वेदनानी प्राप्तिवडे अस्त पामेल २, हीन कुलमा उत्पत्ति, दुर्भाग्य अने दारिद्रय विगेरेथी प्रथम अस्तमित अने पछीथी समृद्धि, कीर्ति अने सद्गतिनी प्राप्ति विगेरेथी उदित-उदय पामेल ते अस्तमितोदित-जेम हरिकेशबल नामना मुनि, ते जन्मांतरमां बांधेल नीच गोत्रकर्मना वशथी प्राप्त करेल हरिकेश नामना चांडालकुलपणाथी, दुर्भाग्यपणाथी अने दरिद्रपणाथी प्रथम अस्त पामेल, परन्तु पाछळथी तो दीक्षित थयो थको निश्चल चारित्रना गुणोवडे, मेळवेल देवकृत सहायवडे, प्रसिद्धि मेळवबावडे अने सद्गतिमा जवावडे उदित ३. तथा सूर्यनी जेम प्रथम अस्त पामेल केमके नीचकुलपणुं अने दुष्ट कर्म करवापणाथी कीर्ति, समृद्धिलक्षण तेजथी वर्जित होय छे अने पछीथी दुर्गतिमा जवाथी अस्त पामेल ते अस्तमितास्तमित-जेम काळ नामनो सौकरिक. 'सूकरैः' सुवरोबडे चरति मृगया-शिकारने करे छे माटे सौकरिक नाम यथार्थ छे. दुष्ट कुलमां उत्पन्न थयेल अने दररोज पांच सो पाडाने मारनार माटे प्रथम अस्त पामेल, अने पछीथी पण सातमी नरकपृथिवीने विषे गयेल माटे अस्त पामेल. ४. 'भरहे 'त्यादि. उदाहरणसूत्र तो भावितार्थ छे. (सू०३१५) जे जीवो आ प्रमाणे विचित्र भावोवडे चिंतन कराय छ ते बधा य चार राशिओमा अवतरे छे, माटे तेओने दर्शावतां थका सूत्रकार कहे छ-'चत्तारि जुम्मे 'त्यादि० युग्मराशिविशेष. जे राशिने चारनी संख्यावडे अपहरण करवाथी (भांगवावडे ) शेष चार रहे ते कृतयुग्म कहेवाय छे. जे राशिना छेवटमा शेप त्रण रहे ते व्योज, बे शेष रहे तो द्वापरयुग्म अने एक शेष रहे ते कल्योज कहेवाय. अहिं गणितनी परिभाषामां
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