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भीस्थानाङ्गसूत्र सानुवाद ॥४२८॥
४ स्थान काध्ययने
उदेशः २ xद्वीपद्वाराणि
अन्तरद्वीपाः पा
विषे लवणसमुद्रमा त्रण सो त्रण सो योजन अंदर जईए त्यां अंतरद्वीपो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-एकोषकद्वीप, बाकी बधुं तेमज कहेवु यावत् शुद्धदंत नामना मनुष्यो वसे छ अर्थात् पेलाना अठ्यावीश अंतरद्वीपोना नामो कद्या ते ज नामो अने वर्णन पण ते प्रमाणे ज जाणवू. (सू० ३०४) जंबूद्वीप नामना द्वीपनी बहारनी वेदिकाना अंतथी चार दिशाओने विषे लवणसमुद्रमा पंचाणु हजार योजन उल्लंघी जईए त्यां अत्यंत मोटा अलंजर-उदकना कुंभ जेबा आकारखडे रहेला चार महापातालकलशो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-पूर्व दिशामा वडवामुख, दक्षिण दिशामां केतुक, पश्चिम दिशामां यूपक अने उत्तर दिशामां ईश्वर छे, त्यां महर्दिक यावत् पल्पोपमनी स्थितिवाळा चार देवो वसे छे, ते आ प्रमाणे-काल, महाकाल, वेलंब अने प्रभंजन. जंबूद्वीप नामना द्वीपनी बहारनी वेदिकाना अंतथी चारे दिशाओने विषे लपणसमुद्रमा बेतालीश बेतालीश हजार योजन उल्लंबीने जईए त्यां चार वेलंधर-समुदनी वेल(शिखा )ने धरनारा नागकुमार जातीय प्रधान देवोना चार आवासपर्वती कहेला छे, ते आ प्रमाणे-गोस्तूप, उदकभास, शंख अने उदकसीम. त्यां चार देवो महर्द्धिक यावत् पल्योपमनी स्थितियाळा वसे छे, ते आ प्रमाणे-गोस्तूप, शिवक, शंख अने मनःशिल. जंबूद्वीप नामना द्वीपनी बहारनी वेदिकाना अंतथ। ईशानादि चारे विदिशाओने विषे लवणसमुद्रमां बेतालीश बेतालीश हजार योजन उल्लंघीने जईए त्यां चार अनुवेलंधर नागकुमार देवोना आवासपर्वतो छ, ते आ प्रमाणे-कर्कोटक, विद्युत्प्रभ, कैलास अने अरुगप्रभ. त्यां चार महदिक देवो यावत् पल्पोपमनी स्थितिवाळा वसे छे, ते आ प्रमाणे-कर्कोटक, कईम, कैलास अने अरुणप्रभ. लवणसमुद्रने विपे चार चंद्रो भूतकाले प्रकाश्या, वर्तमानमा प्रकाशे छे अने भविष्यमा प्रकाश करशे. चार सूर्यो तप्या छ, तपे छे अने तपशे. कृतिका नक्षत्रो चार छ यावत् अख्यावीशमो नक्षत्र
तालक
लशा धात
कीविष्क|भादि सू०
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३०३
॥४२८॥
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